किसान नेताओं ने कहा- भाजपा द्वारा जारी संकल्प-पत्र झूठ का पुलिंदा

0

9 फरवरी। जय किसान आंदोलन ने संयुक्त किसान मोर्चा के ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ के तहत मुरादाबाद और बरेली में प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन किया। इस प्रेस कान्फ्रेंस को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव, हन्नान मौल्ला, राकेश टिकैत, जगजीत सिंह डल्लेवाल, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), डॉ सुनीलम सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया।

प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए योगेंद्र यादव ने भाजपा द्वारा जारी संकल्प-पत्र के बारे में विस्तार से बताया कि भाजपा ने पिछले चुनाव में किए गए वादों को ही इस साल भी जारी कर दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे भाजपा सरकार किसानों से किए गए सभी वादों से मुकर गयी है। इस किसान-विरोधी सरकार को सबक सिखाना होगा। उन्होंने भाजपा के संकल्प-पत्र में आठ झूठ को उजागर किया।

उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा के संकल्प-पत्र के 8 झूठ किसान की नजर से

झूठ# 1: गन्ना किसान का पेमेंट

2022 का संकल्प है : 14 दिनों के भीतर गन्ना किसानों को उनका भुगतान प्राप्त होगा और देरी से होनेवाले भुगतान के लिए मिलों द्वारा ब्याज सहित बकाया भुगतान को सुनिश्चित करेंगे।

2017 का संकल्प था : भविष्य में गन्ना किसानों को फसल बेचने के 14 दिनों के भीतर पूरा भुगतान सुनिश्चित करने की व्यवस्था सरकार द्वारा लागू की जाएगी।

हकीकत : गन्ना किसानों का आज भी वर्ष 2017-18 का 20 करोड़ रुपये बकाया है, 2020-21 का 3,752 करोड़ रुपए बकाया है। ब्याज का एक पैसा भी नहीं दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मार्च 2017 आदेश के बावजूद बीते दस साल में भुगतान में देरी होने पर किसानों को 8,700 करोड़ रुपये का जो ब्याज बनता था वो नहीं दिया गया है।

झूठ#2 : एमएसपी खरीद

2022 का संकल्प है : एमएसपी पर धान खरीद की व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।

2017 का संकल्प था : सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों के धान की खरीदारी की व्यवस्था करेगी। आलू, प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाएगा।

हकीकत : आलू, प्याज के लिए एमएसपी की घोषणा नहीं हुई। पाँच वर्ष के दौरान धान की उपज के एक तिहाई से भी कम की सरकारी खरीद की गयी : 2017 में 22%, 2018 में 21%, 2019 में 24%, 2020 में 29% और 2021 में 29% सरकारी खरीद हुई। गेहूँ में स्थिति और भी खराब थी और उपज की 6 बोरी में एक बोरी से भी कम की खरीदी हुई : 2017 में 12%, 2018 में 17%, 2019 में 11%, 2020 में 11% और 2021 में 16% की सरकारी खरीद हुई।

झूठ# 3 : कृषि सिंचाई फंड

2022 का संकल्प है : 5,000 करोड़ की लागत के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू करेंगे।

2017 का संकल्प था : प्रदेश के हर खेत में पानी पहुंचाने के लिए 20 हजार करोड़ के कोष के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड की स्थापना की जाएगी।

हकीकत : पिछले पांच साल में मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड की स्थापना नहीं की गयी।

झूठ# 4 : दुग्ध क्रांति

2022 का संकल्प है : 1000 करोड़ का निवेश कर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में नंबर-1 बनाएंगे।

2017 का संकल्प था : अगले 5 वर्षों में उत्तर प्रदेश में दुग्ध क्रांति लायी जाएगी और इसके लिए 15 करोड़ के डेयरी विकास फंड की स्थापना की जाएगी।

हकीकत : 15 करोड़ रुपये की राशि से डेयरी विकास फंड की स्थापना तो की थी, लेकिन इस फंड का इस्तेमाल नहीं किया। बाद के वर्षों में इस फंड को बजट से हटा दिया गया।

झूठ# 5 : किसान को पंप

2022 का संकल्प है : प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पम्प प्रदान करते रहेंगे।

2017 का संकल्प था : सभी किसानों को सरकार की ओर से एक नया ‘एनर्जी एफिशिएंट पंप’ दिया जाएगा।

हकीकत : किसान उदय योजना के तहत 2022 तक प्रदेश के 10 लाख किसानों को मुफ्त में पंप सेट दिए जाने थे, लेकिन अब तक मात्र 6,068 एनर्जी एफिशिएंट पंप ही लगाए गए हैं।

झूठ# 6 : फूड पार्क

2022 का संकल्प : प्रदेश में 6 मेगा फूड पार्क स्थापित करेंगे।

2017 का संकल्प : प्रदेश के सभी 6 क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग पार्क स्थापित किए जाएंगे।

हकीकत : पिछले 5 साल में एक भी फूड पार्क नहीं बना, हालांकि वर्तमान में 17 राज्यों में 22 मेगा फूड पार्क है।

झूठ# 7 : सस्ती बिजली

2022 का संकल्प है : किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली।

2017 का संकल्प था : सभी खेतों में कम दरों पर पर्याप्त बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।

हकीकत : पिछले पांच साल में बिजली पर्याप्त नहीं मिली, ऊपर से रेट बढ़ गए। उत्तर प्रदेश की बिजली दरें देश में सबसे अधिक हैं। नलकूपों के लिए बिजली कुछ घंटे ही उपलब्ध होती है। नए कनेक्शन लेने के लिए किसान को भटकना पड़ता है। पाँच वर्षों के कार्यकाल में योगी सरकार ने किसानों से नलकूपों हेतु ग्रामीण मीटर्ड बिजली के दर 1 रुपया यूनिट से दुगुनी कर 2 रुपये यूनिट कर दी। फिक्स चार्ज में अप्रत्याशित वृद्धि कर 30 रुपये से 70 रुपये कर दिया। बिना मीटर वाले कनेक्शन में चार्ज 100 रुपये से बढ़ाकर 170 रुपये कर दिया।

झूठ# 8 : एग्री इंफ्रा फंड

2022 का संकल्प है : 25,000 करोड़ रुपए की राशि से एग्री इंफ्रा फंड (कृषि अवसंरचना कोष) बनेगा।

2018 में मोदी सरकार की घोषणा थी : पूरे देश के लिए 1,00,000 करोड़ का कृषि अवसंरचना कोष।

हकीकत : केंद्र की 1 लाख करोड़ की घोषणा में से अब तक मात्र 2,654 करोड़ की राशि खर्च हुई है। यही हाल योगी जी की घोषणा का होगा।

जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा ने कहा, “देश के करोड़ों किसानों ने अपनी फसल और आनेवाली नसल को बचाने के लिए एक ऐतिहासिक आंदोलन किया। दिल्ली के बॉर्डर पर सर्दी, गर्मी, बरसात सही। सरकार की लाठियां खायीं, दरबारी लोगों की गालियां सुनीं। इस संघर्ष में 750 किसान साथियों ने शहादत दी। एक साल के आंदोलन के बाद सरकार ने हमें आश्वासन देकर मोर्चा उठवा लिया लेकिन अब अपने लिखित वादों से मुकर गयी है। इस विश्वासघात के खिलाफ हमें किसान विरोधी भाजपा सरकार को चुनाव में सबक सिखाना होगा।”

Leave a Comment