झारखंड में सरकारी स्कूल के बच्चे पेड़ों के नीचे पढ़ने को मजबूर

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1 अप्रैल। झारखंड में करोड़ों खर्च के दावे के बावजूद सरकारी स्कूलों के बच्चों को मूलभूत सुविधाएँ भी मयस्सर नहीं हो रही हैं। पश्चिमी सिंहभूम जिले के हाटगम्हरिया प्रखंड में एक सरकारी स्कूल के बच्चे आम के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने पर मजबूर हैं। तेज धूप या बारिश होने पर वे बैरंग अपने घर लौट जाते हैं। जर्जर स्कूल की बिल्डिंग तोड़ने के बाद किराये के मकान में स्कूल चल रहा था, लेकिन एक कमरे में बच्चों को बैठाने में परेशानी होने पर इन्हें खुले में पढ़ाया जा रहा है।

पश्चिमी सिंहभूम जिले के हाटगम्हरिया प्रखंड के उत्क्रमित विद्यालय, जैरपी में बच्चों को पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। यहाँ पहली से पाँचवीं तक कुल 60 बच्चे हैं। इसके पूर्व किराये के खपरैल मकान में पढ़ाई होती थी। सामने खटाल है। बच्चे अधिक होने के कारण एक कमरे में बैठाकर पढ़ाना मुश्किल हो रहा था। इस कारण पेड़ के नीचे बैठाकर इन्हें पढ़ाया जा रहा है। तेज धूप होने या बारिश होने पर बच्चों को घर लौट जाना पड़ता है।

ठेकेदार की मनमानी से पढ़ाई प्रभावित

शिक्षिका किरण गुप्ता ने बताया कि स्कूल का भवन जर्जर होने के कारण विभाग ने तोड़वा दिया। नया भवन बनाने के लिए राशि आयी है। ठेकेदार की मनमानी के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। कई बार स्कूल निर्माण को लेकर ठेकेदार को कहा गया, लेकिन विभाग भी चुप्पी साधे हुए है। बच्चों की पढ़ाई में काफी असुविधा हो रही है।

बरसात में फर्श पर तिरपाल बिछाकर बैठाना पड़ता है। अब गर्मी में मकान में बच्चों को बैठाने में काफी दिक्कत हो रही है। ऐसे में आम के पेड़ के नीचे तिरपाल बिछाकर बैठाया जा रहा है। शिक्षिका ने बताया कि विद्यालय के भवन निर्माण के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक गुहार लगायी गयी है। इसके बावजूद किसी ने बच्चों की सुध नहीं ली।

(‘प्रभात खबर’ से साभार)

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