उप्र. : घर में पड़ रहे थे फाके, किसान ने कर ली खुदकुशी

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28 मई। कृषि में घाटे के चलते मुफलिसी के शिकार हजारों किसान हर साल अपनी जान गँवा देते हैं। ताजा मामला यूपी के जिला जालौन जिले का है, जहाँ एक किसान ने गरीबी से तंग आकर अपनी जान दे दी।

घर में मुफ्त राशन तो था, लेकिन दूध, सब्जियाँ, तेल और गैस खरीदने के रुपये नहीं थे। 4 बेटियाँ और 6 महीने का बच्चा दो दिन से भूखे थे। कर्ज में डूबे किसान ने आत्महत्या कर ली। यूपी के जालौन में गरीब किसान ने खेती में दो साल से हो रहे नुकसान और कर्ज के बोझ के बीच जीने से ज्यादा आत्महत्या करना सही समझा। किसान की 4 बेटियाँ और 6 महीने का दुधमुँहा बच्चा है। आगामी 14 जून को उसकी छठी के कार्यक्रम की तैयारी थी।

द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान के बैंक अकाउंट में 3456 थे, जिसमें उसने तीन हजार के कार्ड छपवाकर बंटवा दिए। कोटे से सरकारी राशन मिला था। गैस, तेल, सब्जियाँ और दलहन खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे थे। खेती के लिए लिया गया कर्ज पहले से ही बोझ बन गया था। इसलिए किसी से पैसे की व्यवस्था भी नहीं हो सकी। इन सभी कारणों के बीच उसने यह कदम उठाया।

यूपी के जालौन के कुठौंदा बुजुर्ग में देव सिंह और उनका परिवार रहता है। पारिवारिक बँटवारे में देव के हिस्से में कच्चे मकान का एक कमरा आया था। देव सिंह के परिवार में उनकी पत्नी नीतू, चार बेटियाँ शिवानी (10), अनुष्का (7), जाह्नवी (4), परिधि (2) और एक दुधमुँहा बेटा अभय (6 माह) हैं। देव सिंह के बड़े भाई दयाशंकर ने बताया कि, “देव सिंह बहुत मेहनती था। लगभग दो साल से उसे खेती में लगातार नुकसान हो रहा था। उसने खेती के लिए गांव के लोगों और रिश्तेदारों से लगभग ढाई लाख का कर्ज ले रखा था। खेती में नुकसान होने के कारण वह घर चलाने के लिए मजदूरी भी करता था। लेकिन कर्ज में डूबने के चलते मानसिक रूप से परेशान चल रहा था, इसलिए काम करने की भी हिम्मत टूटती जा रही थी।”

देव सिंह के बड़े भाई दयाशंकर ने बताया कि, देव सिंह के पास 1 बीघा जमीन था। परिवार का भरण पोषण करने के लिए वह बटाई पर लेकर खेती करता था। उसने साहूकारों से कर्ज भी ले रखा था। इसके चलते वह मानसिक रूप से टूट चुका था, जिस कारण उसने इतना बड़ा कदम उठाया। देव सिंह का खाता जालौन की आर्यावर्त बैंक शाखा में है। 18 मई तक 3546 रुपए जमा थे। 19 मई को देव सिंह ने 3 हजार निकाल लिए थे, जिससे बेटे की छठी के कार्ड छपवाए थे। इसके बाद उसके खाते में मात्र 546 रुपये ही रह गए थे। घर में भी पैसे न होने के कारण आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही थी।

(Sabrang India से साभार)

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