गर्भवती को खाट पर लेकर 3 किमी. चले परिजन, सड़क ना होने से नहीं पहुँची एंबुलेंस, गर्भ में बच्चे की मौत

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21 जून। मध्य प्रदेश की सरकार भले ही आदिवासी इलाकों में सुविधाओं और योजनाओं का अंबार लगाने का दावा करती हो, हालात बहुत बुरे हैं। गाँव में सड़क नहीं होने के कारण एक गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर तीन किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल ले जाना पड़ा। गर्भवती महिला के बच्चे ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया। मंडला जिले के एक गाँव की यह घटना है जो सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े करती है। दरअसल महिला के गाँव में सड़क नहीं है जिसके चलते उसे खाट पर लेटाकर पहले एंबुलेंस तक और फिर अस्पताल लाया गया। इस दौरान बहुत देर हो चुकी थी। महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया।

सुनिया मरकाम नाम की ये महिला मंडला के बेहरा टोला गाँव की रहनेवाली है। गुरुवार को इस महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन लगाया, एंबुलेंस आयी, लेकिन सड़क नहीं होने से गाँव तक नहीं पहुँच सकी। ऐसे में एम्बुलेंस ड्राइवर दो लोगों के साथ और एक परिवार के सदस्य उसे एक खाट पर तीन किमी. की दूरी तय करके एम्बुलेंस के पास ले गए। एम्बुलेंस अटेंडेंट राजेश कुमार ने कहा, जब हम वहाँ पहुंचे तो बजरी की खराब सड़क के कारण गाँव में प्रवेश करना बहुत मुश्किल था। हम खाट का उपयोग करके उसे एम्बुलेंस में ले आए।

इसके बाद सुनिया मरकाम को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। रात में हालत गंभीर होने पर जबलपुर रेफर किया गया, जहाँ प्रसव में दिक्कत के चलते सुनिया मरकाम ने शुक्रवार की सुबह एक मृत बच्चे को जन्म दिया। वहीं अब गर्भवती महिला को खाट पर ले जानेवाला वीडियो सामने आया है। गाँव की आशा कार्यकर्ता ने बताया, कि सुनिया को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी थी।

इस मामले में कलेक्टर हर्षिका सिंह का कहना है, कि गर्भवती जिस गाँव की है, वो पहाड़ के ऊपर का एक टोला है जहाँ खड़ी चढ़ाई होने के कारण वाहन पहुँचना कठिन होता है। 2017 में ग्रेवल सड़क बनाई गई थी, लेकिन एंड पॉइंट तक बनने के बावजूद मोटेरेबल नहीं होता। हमने टीम को बोला है, कि आप तकनीकी रूप से समझ लीजिए, अगर वहाँ सड़क बनाने की संभावना है तो हम स्पेशल प्रस्ताव भेज सकते है।

(MN News से साभार)

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