25 जून। जनजातीय अध्ययन संस्थान बनाने के लिए पटना के ए.एन. सिन्हा शोध संस्थान में बने जयप्रकाश नारायण छात्रावास तथा मधु लिमये अतिथिगृह को तोड़ने की योजना का विरोध शुरू हो गया है। वरिष्ठ समाजवादी शिवानंद तिवारी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि बेहतर होगा कि सरकार ए एन सिन्हा शोध संस्थान को बंद ही कर दे और उसकी जगह उस परिसर में ट्राइबल इंस्टिट्यूट बना दे। शिवानंद तिवारी ने अपनी नाराजगी एक फेसबुक पोस्ट के जरिए जाहिर की है। उन्होंने लिखा है :
जानकारी मिल रही है कि ट्राइबल इंस्टिट्यूट के लिए सरकार संस्थान के परिसर में निर्मित जयप्रकाश नारायण छात्रावास तथा मधु लिमये गेस्टहाउस को तोड़ने जा रही है। यह वर्ष महान समाजवादी नेता मधु लिमये जी का शताब्दी वर्ष भी है। यह भी इतिहास ही बनेगा कि मधु जी के शताब्दी वर्ष में, अपने को समाजवादी माननेवाले मुख्यमंत्री नीतीश जी की सरकार ने अनुग्रह नारायण सिन्हा इंस्टीट्यूट में उनके नाम पर बने गेस्टहाउस को तोड़वा दिया।
जहाँ तहाँ से शोध करने वाले गरीब परिवारों के लड़के दो सौ- ढाई सौ रुपए रोज वाले इन कमरों का लाभ उठा लेते हैं। अन्यथा इतना कम में राजधानी में दूसरा ठौर कहाँ मिलने वाला है!
शिवानंद तिवारी ने आगे लिखा है कि :
नीतीश जी की सरकार आधुनिक म्यूज़ियम बनाने के लिए हड़ताली मोड़ पर सोने के भाव वाली कई एकड़ जमीन का इंतजाम कर लेती है। बौद्ध साधना के लिए कई एकड़ में फैली व्यावसायिक भूमि निकाल लेती है। लेकिन समाज में सबसे उपेक्षित आदिवासी समाज की समस्याओं का अध्ययन करने तथा उनका समाधान ढूँढने हेतु जरूरी संस्थान के लिए भूमि का इंतजाम नहीं कर पा रही है। इसके लिए आधुनिक बिहार के निर्माता कहे जानेवाले अनुग्रह बाबू के नाम पर बना संस्थान ही नजर आ रहा है! इस संस्थान का उदघाटन तत्कालीन राष्ट्रपति देशरत्न डा. राजेंद्र प्रसाद ने 1958 में किया था। एक समय अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त यह संस्थान ऐसे ही सरकार की उपेक्षा का शिकार है। रही-सही कसर सरकार इसके परिसर में बने भवनों को तोड़ कर पूरा करने जा रही है।
क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि सरकार की सद्बुद्धि जगेगी और ट्राइबल संस्थान के लिए कोई अन्य जगह तलाश कर लेगी और जयप्रकाश नारायण तथा मधु लिमये के नाम पर बनी भवनों को बख्श देगी?