# 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने पाया था झूठे आरोपों को बेबुनियाद
# जन आंदोलनकारियों की आवाज बंद करने की साजिश सफल नहीं होने देंगे जन संगठन
11 जुलाई। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर एवं नर्मदा नवनिर्माण अभियान के अन्य 11 ट्रस्टियों पर दर्ज एफआईआर को तुरंत निरस्त करने की मांग करते हुए कहा कि पूर्व में भी इस तरह के अनर्गल आरोप लग चुके हैं तथा सर्वोच्च अदालत ने जुलाई 2007 में जो फैसला दिया, उसमें नर्मदा आंदोलन पर लगाये आर्थिक स्रोतों से संबंधित आरोप बेबुनियाद पाये गए थे।
डॉ सुनीलम ने कहा कि यह जन आंदोलनों की आवाज को सरकार द्वारा कुचलने की कोशिश है।
शिकायतकर्ता ने अपना फेसबुक अकाउंट बंद किया
डॉ सुनीलम ने कहा कि शिकायतकर्ता प्रीतमराज बड़ोले ने अपना फेसबुक अकाउंट एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद बंद कर दिया है। लेकिन फेसबुक से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं संघ से जुड़ा व्यक्ति है। जिससे पता चलता है कि शिकायत के पीछे गहरी साजिश है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि जीवनशालाओं के पैसों को राष्ट्रद्रोह में उपयोग किया गया है लेकिन कोई तथ्य या दस्तावेज शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे यह साफ हो जाता है कि पूरी कार्यवाही राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और 35 वर्षों से सक्रिय नर्मदा बचाओ आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश है।
डॉ सुनीलम ने कहा है कि मेधा पाटकर जी के प्रयासों से नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट करीब 30 वर्षों से जीवनशालाएं चला रहा है। इन जीवनशालाओं से पांच हजार से अधिक आदिवासी बच्चे पढ़़कर निकल चुके हैं। जीवनशाला को संचालित करनेवाले ट्रस्ट का हिसाब-किताब रखा गया है, जिसका हर साल ऑडिट भी कराया जाता है। जीवनशालाओं के लिए दिया गया कोई भी चंदा किसी भी राजनीतिक कार्य के लिए उपयोग में कभी नहीं लाया गया है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि मेधा पाटकर द्वारा चलाए गए सभी आंदोलन संवैधानिक सिद्धांतों और मूल्यों पर आधारित हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य जन संगठनों को भयभीत कर चुप करने का है ,जो कभी पूरा नहीं होगा। संघर्ष जारी रहेगा।
– भागवत परिहार
कार्यालय प्रभारी, किसान संघर्ष समिति, मुलतापी