18 जुलाई। सोमवार को सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में यह प्रस्ताव लिया गया कि इस अधिवेशन के दौरान चर्चा में आए मुद्दों को केंद्रित करके बहुलवादी समाज, मानवतावादी संस्कृति, संघीय और लोकतांत्रिक स्वरूप एव धार्मिक सद्भाव की रक्षा के लिए 9 अगस्त, क्रांति दिवस से महा जनजागरण यात्रा का प्रारंभ होगा। यह यात्रा कई चरणों में सम्पन्न होगी। 9 अगस्त को दिल्ली में गांधीवादी व अन्य सहमना संगठनों के सहकार से नागरिक अधिकारों को कुचल देने के प्रयासों के प्रतिवाद में सत्याग्रह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
18 जुलाई को सर्व सेवा संघ के अधिवेशन के दूसरे दिन प्रथम सत्र में अधिवेशन का आधार पत्र पढ़ा गया। देश के सामने उपस्थित वर्तमान परिस्थितियों में एक संगठन के तौर पर हमारी भूमिका विषय पर चर्चा का आयोजन हुआ। इस सत्र की शुरुआत करते हुए डॉ विश्वजीत ने कहा कि आज देश तीन प्रमुख समस्याओं से जूझ रहा है- बेरोजगारी, महंगाई और सांप्रदायिकता। इन बड़ी और विकराल समस्याओं का कोई समाधान तलाशने के बजाय इसी बीच सेना में अग्निपथ योजना की घोषणा की गई। इसके पीछे यह मंशा साफ समझ में आती है कि कारपोरेट सेक्टर को प्राइवेट आर्मी से लैस करने की योजना है। विनोद रंजन ने कहा कि आज हमें इस अधिवेशन से कोई न कोई कार्यक्रम तय करके निकलने की जरूरत है। रमेश ओझा ने कहा कि जे कृष्णमूर्ति ने कहा था कि प्रकृति में हर ताकतवर चीज कमजोरों का पोषण करती है, एकमात्र मनुष्य ही है जो अपने से कमजोरों का शोषण करता है। आज भी भारत का किसान देश की अर्थव्यवस्था का पोषण कर रहा है, जबकि सत्ता किसान का हर प्रकार से शोषण कर रही है। पुतुल ने कहा कि हर काल की अपनी चुनौतियां होती हैं। जेपी के सामने जैसी चुनौतियां थीं, उन्होंने युवाओं को उन चुनौतियों के मुताबिक गढ़ा। आज की चुनौतियां उससे अलग है, इसलिए आज के मुताबिक नागरिक तैयार करने होंगे।
आयोजक उत्तम भाई परमार ने बेहद भावुक शब्दों में कहा कि आज देश घने अंधेरे में है। इस अंधेरे की वजह ढूंढ़ी जानी चाहिए। 15 अगस्त 1947 को जिन लोगों ने अपना सब कुछ गंवा दिया, आज वही लोग शासन में हैं और प्रतिशोध की भावना से क्रोध में भरे हुए हैं। वही लोग अंधेरा फैला रहे हैं। वे लोगों को जगाने का नहीं, मूर्छित करने का काम कर रहे हैं। देश की बिखरी हुई सांप्रदायिक शक्तियां आज इकट्ठा हो गई हैं। देश में कोई सांस्कृतिक संघर्ष नहीं है, दरअसल देश में हिंदू धर्म की दो धाराओं के बीच संघर्ष है। एक तरफ महात्मा गांधी की हिंदू धर्म की धारा है और दूसरी तरफ सावरकर की हिंदू धर्म की धारा है। आज देश में दूसरा स्वतंत्रता संग्राम छिड़ चुका है, जिसमें तीस्ता सीतलवाड़, हिमांशु कुमार और जुबैर अहमद जैसे साथी हमारे स्वतंत्रता सेनानी हैं, वही एहसान जाफरी और स्टेन स्वामी जैसे लोग इस आजादी की लड़ाई के शहीद हैं। अब यह अंधेरा छंटने वाला है, क्योंकि उनके हथियार चुक रहे हैं। गांधी और विनोबा का पुण्य हमारे साथ है।
इस सत्र को मधुसूदन भाई, मदन मोहन वर्मा, सोमनाथ रोड़े, आशा बोथरा और सवाई सिंह आदि साथियों ने भी संबोधित किया। सवाई सिंह ने कहा कि समयबद्ध कार्यक्रमों के साथ जनता के बीच जाने की जरूरत है। आज हमारी शक्ति या तो बिखरी हुई है या निष्क्रिय है। हिमांशु कुमार और तीस्ता जैसे साथी आज जिस संकट का सामना कर रहे हैं, हमें उनके साथ खड़े होने की जरूरत है। यह आर-पार की लड़ाई का समय है। देश आर्थिक गुलामी की तरफ बढ़ रहा है, राजनीतिक गुलामी इसके तुरंत बाद आएगी, इतिहास खुद को दोहराने की स्थिति में है। पिछले सालों में सर्व सेवा संघ ने कोविड आदि के कारण कोई एक्शन नहीं लिया है। देश को अगर बचाना है तो आज खड़े होने की जरूरत है।
इसके अगले सत्र में सर्व सेवा संघ की संगठनात्मक चर्चा हुई। इस सत्र का संचालन रमेश दाने ने किया और चिन्मय मिश्रा ने अधिवेशन का राजनीतिक प्रस्ताव पढ़ा। खुले अधिवेशन में प्रस्ताव पर अनेक संशोधन आए। इस्लाम हुसैन, रामधीरज, चंदन पाल, रामचंद्र राही, संतोष द्विवेदी, अशोक शरण, इंद्र सिंह, सोमनाथ रोड़े, रमेश ओझा आदि ने अपने अपने सुझाव दिए। इन सब को स्वीकार कर लिया गया।
संगठनात्मक चर्चा के बाद प्रदेश सर्वोदय मंडलों के साथियों ने अपने अपने राज्य की रिपोर्ट पढ़ी। उत्तराखंड से इस्लाम हुसैन, कर्नाटक से चंद्रशेखर, हरियाणा से जय भगवान सिंह, पश्चिम बंगाल से विश्वजीत घोराई, राजस्थान से जौहरी वर्मा, महाराष्ट्र से रमेश दाने, मध्य प्रदेश से भूपेश, उत्तर प्रदेश से रामधीरज, बिहार से विनोद रंजन के अलावा ओड़िशा की रिपोर्ट भी पढ़ी गई।
अधिवेशन के समापन सत्र का संचालन संतोष द्विवेदी ने किया। डॉ सुगन बारहठ और उत्तम सिंह परमार का संबोधन हुआ। इसके अलावा सर्वोदय के पुराने तथा विशिष्ट कार्यकर्ताओं को अंगवस्त्रम, सूत्र माला और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंतिम सत्र के अंत में सर्व सेवा संघ के महामंत्री गौरांग चंद्र महापात्र ने सभी अभ्यागतों और आयोजकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। संतोष द्विवेदी के नेतृत्व में जय जगत पुकारे जा गीत का सामूहिक गान हुआ। इसके बाद मधुभाई के नेतृत्व में सर्वधर्म प्रार्थना के साथ अधिवेशन का समापन हुआ।