जयपुर में सफाई कर्मचारी दिवस पर रैली

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1 अगस्त। सफाई कर्मचारी दिवस के उपलक्ष्य में 31 जुलाई को झालाना डूंगरी कच्ची बस्ती में जयपुर सफाई मजदूर यूनियन द्वारा रैली और सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में क्रांतिकारी नौजवान सभा, राजस्थान के साथियों ने भी हिस्सा लिया। रैली बाबा रामदेव मंदिर से निकल कर बाल्मीकि सामुदायिक केंद्र, यानी उस जगह तक जहाँ पर 2017 में भारी पुलिस बल के साथ बस्ती वासियों के घर जुलाई के इन्हीं दिनों, इसी बारिश में तोड़े गए थे, उसी खाली पड़े मैदान तक पहुँची। “बस्तियां तोड़ना बंद करो”, “कच्ची बस्तियों को पक्के पट्टे दो”, “पट्टे के हकदार बसे हैं, बस्ती में इंसान बसे हैं” जैसे नारे बुलंद किए गए।

सभा बंद सामुदायिक केंद्र के बाहर की गई। जब बस्ती तोड़ी गई थी, तब सामुदायिक भवन को खोलने की माँग उठी थी, ताकि बेघर हुए लोग बारिश में उसमें कुछ समय शरण पा सकें, लेकिन सामुदायिक भवन को प्रशासन द्वारा नहीं खोला गया था। तब लोगों ने इसे उनके अधिकारों का दोहरा हनन कहते हुए सामुदायिक भवन ताला तोड़ दिया था। उसके बाद से जनता के कार्यक्रमों के लिए सामुदायिक भवन नहीं दिया जाता। आज उसी बंद सामुदायिक भवन के सामने सभा की गई।

सभा में सफाई मजदूर दिवस के जुझारू इतिहास, शहीद उधम सिंह का क्रांतिकारी इतिहास और प्रेमचंद के जमीन से जुड़े हुए साहित्य और जीवन के बारे में चर्चा हुई। यह भी चर्चा हुई, कि सफाई मजदूर दिवस का इतिहास हमें दलित होने और खासकर वाल्मीकि होने के नाते क्या सिखाता है और यह भी चर्चा हुई, कि आखिर बाकी तमाम नाना प्रकार के दिवसों के बीच आखिर सफाई मजदूर दिवस या सफाई कर्मचारी दिवस उतना प्रचलित क्यों नहीं है जितना जुझारू उसका इतिहास है।

सत्तारूढ़ वर्ग और जातियों की इस साजिश को उजागर किया गया, कि दलित समाज से हमेशा ही वह इतिहास छुपाया गया है जो दलितों को खुद के गौरवशाली, शक्तिशाली और जुझारू जनशक्ति होने और समाज में खुद की क्रांतिकारी स्थिति का एहसास करवा सकता है। सभा में बस्ती के साथियों ने भगतसिंह के लेख ‘अछूत समस्या’ से जोड़ते हुए दलित मुद्दों की बातें कीं, सावित्रीबाई फुले से जोड़ते हुए नारी मुक्ति की बातें की, दलित शिक्षा की बातें कीं और कौमी एकता की बातें कीं।

साथ ही इस वक्त राजस्थान में व्यापक स्तर पर सरकारी स्कूलों के अंग्रेजी मीडियम में परिवर्तित किए जाने के फलस्वरूप दलित बच्चों की शिक्षा पर पढ़ रहे प्रतिकूल प्रभाव की चर्चा की गई और झालाना बस्ती में आठवीं तक हिंदी मीडियम में स्कूल की माँग उठाई गई और इसके साथ ही “स्कूल में जातिवादी शोषण नहीं सहेंगे” और “दलित गरीब मजदूरों के बच्चों को स्कूल से निकालना बंद करो” जैसे नारे भी लगाए गए।

(‘मेहनतकश’ से साभार)

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