सोसाइटी फॉर कॉम्युनल हार्मोनी की ओर से सामाजिक सद्भाव के लिए स्किट प्रतियोगिता

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3 अगस्त। भारत बहु जातीय संस्कृति का देश है, जहां विभिन्न धर्म, संस्कृति और अलग भाषाई पहचान के लोग प्रेम व सद्भाव से एकसाथ मिलकर रहते हैं। किसी भी मुल्क को लोकतांत्रिक बनाए रखने और कानून-व्यवस्था कायम करने के लिए सामाजिक सद्भाव का होना अनिवार्य है। हार्मोनी का मतलब ही जोड़ना है।

स्किट प्रतियोगिता के आयोजन का मकसद देश में सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना है। इस प्रतियोगिता में 10 बच्चों का एक समूह होगा जिसमें स्किट को 13 मिनट तक का अधिकतम समय मिलेगा।

कार्यक्रम का उद्देश्य

1. सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना, जो एकता को मजबूत करे और आपसी भाईचारा को बढ़ाए।

2. इसका उदेश्य छात्रों को एकसाथ जोड़ना और उनको अपने नैतिक अधिकारों से अवगत कराना है जो समाज में सद्भावना और आपसी भाईचारे को बढ़ाएं।

प्रतियोगिता में भाग लेनेवाले प्रतिभागी के लिखित प्रति, कला, नाटक और प्रस्तुति का मूल्यांकन होगा। अपने वीडियो प्रस्तुति को इस ई- मेल पर भेजें –
[email protected].

कृपया अपना नाम, अपने संस्थान का नाम, अपने शहर का नाम और संपर्क सूत्र जरूर लिखें।

वीडियो के जरिए अपनी प्रस्तुति भेजने की अंतिम तिथि 14/08/2022 है।

प्रतियोगिता में भाग लेने का पंजीयन शुल्क 5001 रुपये है। विजेता टीम को राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
रजिस्ट्रेशन लिंक
https://forms.gle/ZjNRT16KjUDsZXhM6

संस्था के बारे में

सोसाइटी फॉर कॉम्युनल हार्मोनी सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए समर्पित एक संगठन है। इसकी स्थापना 1990 में डॉ. विशम्भरनाथ पांडे, अली मियां नदवी, सादिक अली, एस.एन. सुब्बाराव, लामा लोबज़ांग, सोमनाथ चटर्जी, रबी रे, सुरेंद्र मोहन, सी.के. जाफर शरीफ, अब्दुल करीम पारेख, कुलदीप नैयर, चंद्रभाल त्रिपाठी, निर्मला देशपांडे, डॉ. ए.के. मर्चेंट, और अब्दुल मन्नान आदि सहित स्वतंत्रता सेनानियों और आध्यात्मिक कार्यकर्ताओं के एक बहु-धार्मिक समूह के रूप में की। इस संस्था का उद्देश्य भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित न्याय, शांति और प्रगति के माध्यम से एकता और बंधुत्व को बढ़ावा देना है। संस्था ने कई अंतर-धार्मिक संवाद, छात्रों और युवाओं के बीच जागरूकता निर्माण, संघर्षों में हस्तक्षेप और सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के लिए राहत और न्याय के लिए रचनात्मक पहल की है।संस्थान द्वारा समय-समय पर अभियान, सम्मेलन, प्रकाशन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए नेटवर्किंग जैसी गतिविधियों को आयोजित किया जाता है।

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