कृषि लोन का एक बड़ा हिस्सा महानगरों में आवंटित किया जा रहा

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5 अगस्त। सरकारी आँकड़ों के अनुसार देश की 68.9% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। समय-समय पर विभिन्न सरकारों ने किसानों के कल्याण के लिए तमाम योजनाएँ चलाई। किसानों को विभिन्न आपदाओं से हुई हानि की भरपाई के लिए अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक ऋण की भी व्यवस्थ्या की गयी। लेकिन देश का दुर्भाग्य है, कि ऋण ग्रामीण किसानों को न देकर बड़े-बड़े महानगरों में आवंटित कर दिये जा रहे, जहाँ खेती किसानी का नामोनिशान नहीं है। ऐसे ही कई घटनाएँ सामने आयी हैं।

महाराष्ट्र में भी खेती के नाम पर दिए जानेवाले लोन का सबसे बड़ा हिस्सा मुंबई महानगर में दिया जाता है। कौन हैं ये किसान? इसी तरह कृषि आमदनी के नाम पर करोड़ों रुपए का आयकर ना देने वाले ‘किसान’ कौन हैं? राजधानी दिल्ली में कृषि लोन के नाम पर 55,121 खातों में 17,482 करोड़ बाँटे गए, यानी औसतन हर खाते में 31.7 लाख का कृषि लोन आवंटित हुआ। सवाल है कि महानगरों में लोन लेनेवाले कौन हैं? इसकी निष्पक्षता से जाँच होनी चाहिए।

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