बुलडोजर राज के विरोध में जंतर मंतर पर मजदूर संगठनों का प्रदर्शन

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6 सितंबर। दिल्ली के जंतर मंतर पर देश में चल रहे ‘बुलडोजर राज’ के खिलाफ झुग्गियों, बस्ती कॉलोनियों में रहनेवाले और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों ने हजारों की तादाद में प्रदर्शन किया। साथ ही अपनी माँगों का एक सामूहिक माँगपत्र प्रधानमंत्री और शहरी आवास मंत्री के नाम दिया। मजदूर आवास संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों मजदूरों की माँग है, कि सभी के पुनर्वास को पहले सुनिश्चित करना जरूरी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है, कि जहाँ एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, उसी समय झुग्गियों, बस्ती कॉलोनियों में रहनेवालों और असंगठित क्षेत्र के हजारों श्रमिकों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया हैं। उनका कहना है, कि बिना किसी पुनर्वास के उन्हें अपनी आजीविका से भी वंचित कर दिया गया है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है, कि एक तरफ सरकार गरीबों और मजदूरों की हितैषी होने का दिखावा कर रही है तो दूसरी तरफ रोजी-रोटी और मकान की तबाही का जश्न मना रही है। दिल्ली में नफरत का माहौल बनाकर सरकार सांप्रदायिक एजेंडे को हवा देते हुए तोड़फोड़/बेदखली के इन अभियानों को आगे बढ़ा रही है और इस तरह मजदूर वर्ग की एकता को भी तोड़ने का प्रयास कर रही है। सरकार के पास आवास की कोई योजना नहीं है। मजदूर आवास संघर्ष समिति ने बताया, कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में 63 लाख घरों को बेदखल करने की घोषणा की, लेकिन पुनर्वास के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा गया।

इसके अतिरिक्त, असंगठित क्षेत्र के 50,000 मजदूरों के लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है, न ही सरकार द्वारा उनके आवास की योजना है, जबकि दिल्ली में 28,000 घर खाली पड़े हैं। जमीनी हकीकत इस दावे का भी खंडन करती है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मार्च, 2022 तक लगभग 123 लाख घरों को मंजूरी दी गई है। सभी झुग्गी बस्तियों और श्रमिक कॉलोनियों के आवासों की ओर से, यूनियनों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए जिनमें मजदूर आवास संघर्ष समिति, हॉकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी, वर्किंग पीपल्स कोएलिशन, ऐक्टू, धोबीघाट झुग्गी अधिकारी मंच, फरीदाबाद आरडब्ल्यूए, रेहड़ी पटारी विकास संघ, बस्ती सुरक्षा मंच, सामाजिक न्याय एवं अधिकार समिति, आरडब्ल्यूए दयाल नगर, कृष्णा नगर ग्राम विकास समिति, आगरा आवास संघर्ष समिति, आश्रय अभियान बिहार, बेला राज्य आवास संघर्ष समिति, दिल्ली घरेलू कामगार संघ, दिल्ली शहरी महिला कामगार संघ, संग्रामी घरेलू कामगार संघ, दिल्ली रोजी-रोटी अधिकार अभियान आदि शामिल थे।

मुख्य माँगें –

1) जबरन विस्थापन (बेदखली) पर तत्काल रोक लगाएं।
2) पूर्ण पुनर्वास से पहले विस्थापन नहीं।
3) वंचित बस्तियों का सर्वेक्षण कर पुनर्वास के लिए सुनिश्चित करें।
4) जबरन बेदखली करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
5) हर राज्य की एक पुनर्वास नीति होनी चाहिए जिसकी कट ऑफ डेट 2021 की जाए।
6) स्ट्रीट वेंडर हॉकर्स आदि का सर्वे तत्काल कर सीओवी दें और सीओवी का सम्मान करें।
7) असंगठित श्रमिकों को नियमित करें और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें।
8) 20 से 30 फीसद शहरी क्षेत्र श्रमिकों के लिए आरक्षित होना चाहिए।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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