— रमाशंकर सिंह —
खबर थी कि आठ हजार करोड़पति (वास्तव में कहना चाहिए कि अरबपति क्योंकि जो बाहर बसने की तैयारी में हैं वे 50 -100 करोड़ से ऊपर की हैसियत के लोग हैं) विदेशों में बसना चाहते हैं और उसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। इन्हें कोई रोक भी नहीं पाएगा। ये उन परिवारों के लोग हैं जो पिछले साठ सत्तर बरस से नियमित आर्थिक और वोट की मदद जनसंघ को करते रहे हैं और किन्ही कारणों से जनसंघ/ भाजपा की मुख्यधारा में नहीं खप पाये थे।
खबर यह है कि अब करीब इतने ही करोड़पति भी देश छोड़ना चाहते हैं जो आर्थिक रूप से पच्चीस करोड़ से पचास करोड़ की हैसियत के हैं।
इनमें से दो चार को मैं जानता हूँ और यकीन कीजिए कि वे सब मोदी भाजपा संघ का गुणगान करने में, हिंदू राष्ट्र के पक्ष में हर तरह से मदद करने में औरों से आगे रहते हैं ! आरक्षण के खिलाफ दिनरात बोलते रहते हैं जबकि घर परिवार में कोई नौकरीपेशा नहीं है।
फिर ये क्यों भारत छोड़ रहे हैं? तो उनका जवाब है कि देश की दिशा हमारे व्यापार धंधे और बच्चों के लिए अनुकूल नहीं रहनेवाली है ! उन्हें इसका भी डर है कि जल्दी ही बड़ी मंदी उनका व्यापार चौपट कर देगी। वे यह भी कहते हैं कि जरूरत से ज्यादा मुसलमानों को भयाक्रांत करने से एक टाइम बम बन रहा है जो कभी भी फट सकता है और पैसेवाले उसका शिकार हो सकते हैं।
भारत में तो बस उनके बूढ़े मॉं-बाप रह जाएंगे जो घर-दफ्तर में झाड़ू लगवाते रहेंगे।
लेकिन इन करोड़पति/ अरबपतियों में से बहुत से तो इस्लामिक देशों में ही जा रहे हैं जहॉं नागरिकता नहीं मिलेगी! तो उनका कहना है कि कम से कम एक कानून तो है सबके लिए और प्रशासन में भ्रष्टाचार नहीं है !
अब समझ में आया कि क्यों अरबपति गायक सोनू निगम को बंबई में अजान से तकलीफ होती थी और जब से इस्लामिक देश दुबई में जाकर बसा है, सब चंगा है जी!
(फेसबुक से)