24 सितंबर। उत्तराखंड से 19 वर्षीया अंकिता भंडारी का पहले गायब हो जाना और उसके बाद उसकी हत्या का खुलासा जितना खेदजनक है, उससे भी ज्यादा शर्मनाक ये है कि उसकी हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने अपने होटल मालिक के कहने पर वेश्यावृति को नहीं अपनाया। एक युवती जो अपनी मेहनत के दम पर, प्रतिभा के दम पर ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहती थी, उसे इस कोशिश की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
ये हत्याकांड इसलिए और भी वीभत्स हो जाता है क्योंकि प्रदेश का प्रशासन लगातार इससे कन्नी काटते दिखाई दिया। अब जैसा सामने आया है कि एक भाजपा नेता का बेटा इसमें संलिप्त हो सकता है। प्रशासन का ढुलमुल रवैया क्या इसीलिए था? उत्तराखंड की जनता का रोष अगर नहीं होता तो शायद ये केस किसी ठंडे बस्ते में चला जाता।
उत्तराखंड प्रदेश की उत्पत्ति ही महिला आंदोलन के कारण हुई है। ऐसे में इसी प्रदेश से आनेवाली ऐसी खबर सामाजिक पतन के साथ-साथ प्रशासनिक कमजोरी भी दर्शाती है।
महिला स्वराज इस प्रकरण की निंदा करते हुए यह भी याद दिलाना चाहता है कि देश में बढ़ती बेरोजगारी की सबसे भयंकर मार महिलाओं और युवतियों पर पड़ी है जिनके लिए पहले से ही लिंगभेद के कारण रोजगार के सीमित अवसर थे। लेकिन अब तो इन सीमित अवसरों का भी अकाल सा पड़ गया है। ऐसे में महिला उत्पीड़न, विशेषकर यौन उत्पीड़न, के प्रकरण बढ़ेंगे। अंकिता को जिस तरह से प्रताड़ित किया गया, क्या यह संभावना नहीं हो सकती कि ऐसा उत्पीड़न अन्य महिलाओं और युवतियों का भी हुआ हो? ऐसे में प्रश्न राष्ट्रीय महिला आयोग को करना चाहिए। महिला स्वराज राष्ट्रीय महिला आयोग से मांग करता है कि इस शर्मनाक प्रकरण की निष्पक्ष जांच तो हो ही, साथ ही इसकी भी जांच हो कि इसी तरह के कुकर्म में अभियुक्त पहले भी संलिप्त हैं? ये जांच समयबद्ध हो और इसकी न्यायिक प्रक्रिया भी समयबद्ध की जाए।
इसके अतिरिक्त अब उत्तराखंड प्रशासन एकदम से उत्कण्ठित हो बुलडोजर से होटल गिराने की प्रक्रिया करता दिख रहा है। ये जनता को केवल बहलाने जैसा लगता है। क्योंकि अगर होटल मापदंडों के अनुरूप नहीं बना था, तो अब तक प्रशासन की जानकारी में क्यों नहीं आया। महिला स्वराज देश के कानून के तहत एक मजबूत न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत इस पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए, प्रशासन की ढील की भी जांच की मांग करता है।