2 अक्टूबर। झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के टुटुवापानी गाँव में विलुप्तप्राय जनजाति बृजिया, मुंडा व उरांव के करीब 70 परिवार रहते हैं। इसमें बृजिया जनजाति अब विलुप्त होने के कगार पर है। गरीबी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इस जनजाति ने अपना धर्म बदल लिया है। दूसरी जनजातियाँ भी इसी तरफ अग्रसर हैं। टुटुवापानी गाँव के विकास को लेकर सरकार उदासीन है। सरकार के अलावा हिंडाल्को कंपनी भी इस क्षेत्र में सीएसआर के तहत सुविधा देने में नाकाम है। जबकि इस क्षेत्र से हिंडाल्को कंपनी करोड़ों रुपये कमा रही है। इसके बावजूद इस क्षेत्र की जनता सरकारी सुविधाओं के लिए तरस रही है।
इस गाँव में लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर है। गाँव के गरीब लोग प्रधानमंत्री आवास से वंचित हैं। मकान मिट्टी से बने होने के कारण बरसात में गिरने का खतरा भी बना रहता है। गाँव की कच्ची सड़कों पर बरसात का पानी पर जमा रहता है। गाँव में जलमीनार होने के बावजूद लोग कुआं व दाड़ी का पानी पीने को मजबूर हैं, क्योंकि बरसात और ठंड के दिनों में धूप नहीं निकलने से सोलर पंप चार्ज नहीं होता है। टुटुवापानी में बृजिया जनजाति के लोग रहते हैं। आदिम जनजाति होने के कारण सरकार ने उन्हें बिरसा आवास दिया है, लेकिन अभी तक बृजिया जनजाति के कई घरों में आवास पूरा नहीं हुआ है। गाँवों में बिजली नहीं होने के कारण नौनिहाल बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत हो रही है। लोग बॉक्साइट माइंस में मजदूरी कर अपनी जीविका चला रहे हैं।