2 अक्टूबर। किसान संघर्ष समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव ने बताया कि देश भर के सभी जिलों में 2 अक्टूबर से 10 दिसंबर के बीच ‘नफरत छोड़ो, संविधान बचाओ’ अभियान के तहत 75 किलोमीटर की पदयात्रा की जा रही है।
छिंदवाड़ा में यात्रा के प्रथम दिन ग्राम बोहना खैरि, ककई, विलवा, जम्होडी में यात्रा संपन्न हुई जिसमें भारी संख्या में किसानों के साथ साथ महिलाओं व युवाओं ने भी भाग लिया और यात्रा को सफल बनाया तथा पुनर्वास और रोजगार की माँग यात्रा के माध्यम से की गई। उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा जिले में 7 दिवसीय पदयात्रा 2 अक्टूबर से ग्राम बोहना खेड़ी से शुरू होकर ककई, विलवा, जम्होडी, भुतेड़ा-1, भुतेड़ा-2, माचागोरा, बाम्हनवाड़ा, मुआर, कलकोटी, देवरी, केवलारी, मड़ुवा, हिवरखेड़ी, धनोरा, बारह बहीयारी, चौसरा, थावरी टेका, डागावानी पिपरिया, कर्वे पिपरीया, भूला मोहगांव, सिहोरा, खखरा चौरई, सिंगोड़ी, राजा खोह ढाना, परियोजना से प्रभावित किसानों के पूर्ण विस्थापन की मांग की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने पेंच व्यपवर्तन परियोजना को लेकर नोटिस देकर राज्य सरकार से यह पूछा था कि प्रभावित किसानों का किस तरह का पुनर्वास किया गया तथा परियोजना हेतु काटे गए पेड़ों की भरपाई किस तरह की गई?
एडवोकेट आराधना भार्गव ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह किया गया है तथा पुनर्वास और पर्यावरण संबंधी गलत जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि गांधीजी पर्यावरण को बिना नष्ट किए विकास की जो नीति देश में लागू करना चाहते थे उस पर केंद्र और राज्य सरकारों ने ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते पर्यावरण संकट पूरी मानवता के लिए संकट बन चुका है। एड. आराधना भार्गव ने कहा कि किसान संघर्ष समिति, प्रदेश भर में समूह विशेष के खिलाफ नफरत फैलाए जाने के खिलाफ रोक लगाना चाहती है ताकि प्रदेश के नागरिक शांति और सद्भाव के साथ रह सकें तथा विकास का रास्ता प्रशस्त हो सके।
गौरतलब है कि पेंच व्यपवर्तन परियोजना के प्रभावित किसानों को संपूर्ण मुआवजा नहीं मिला है। प्रभावित किसानों के परिवार बड़े पैमाने पर बेरोजगारी से जूझ रहे हैं इसलिए किसान संघर्ष समिति प्रभावित किसानों के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने की लड़ाई लड़ने के उद्देश्य से पदयात्रा कर रही है।
– भागवत परिहार