गुजरात मॉडल : बच्चों में कुपोषण की समस्या ज्यों की त्यों

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6 अक्टूबर। कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक है। नतीजा ये कि केवल इसी की वजह से देश पर बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है। गुजरात राज्य सरकार द्वारा कुपोषण को रोकने के लिए करोड़ों रुपये की योजनाओं को अमली जामा पहनाने के बाद भी राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि अभी भी जारी है। राज्य सरकार द्वारा जारी आँकड़े के अनुसार विगत 1 महीने में करीब 18,819 कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए हैं। बनासकांठा जिला कुपोषित बच्चों के मामले में अव्वल है। यहाँ करीब 1535 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं अहमदाबाद नगर निगम से कुपोषण के 1445 मामले दर्ज किये गये। जबकि सबसे कम करीब 112 बच्चे गांधीनगर नगर निगम क्षेत्र में कुपोषित पाये गये। आदिवासी बहुल जिले दोहड़, पंचमहल, वडोदरा सहित अन्य जिलों के आँकड़े भी हैरान करने वाले हैं।

गुजरात पोषण अभियान 2020-2022 और घरेलू राशन योजना जैसी तमाम मुहिम के बावजूद राज्य में कुपोषण की समस्या लगातार बढ़ रही है। आँकड़ों ने सरकार के उन दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं, जिनमें गुजरात को मॉडल स्टेट और संवेदनशील सरकार होने के दावे किए जा रहे थे। राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत पिछले 3 वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा 29976.16 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई है। इसमें से आंगनबाड़ी सेवा योजना के तहत 99,395 लाख रुपये और पूरक पोषण कार्यक्रम के लिए 89,389.74 लाख रुपये आवंटित किए गए। वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंत तक गुजरात सरकार के पास 14,779.16 लाख रुपये की राशि उपलब्ध होने के कारण केंद्र सरकार द्वारा कोई भी अनुदान आवंटित नहीं किया गया।

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