7 अक्टूबर। असम के शिवसागर कस्बे के एक दुर्गा पूजा पंडाल में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग वर्षों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते आए हैं। यहाँ का पूजा पंडाल एक मस्जिद की दीवार से सटा हुआ है। पूजा का आयोजन ‘नवयुवक दुर्गोत्सव समिति’ नामक एक स्थानीय समिति करती है। यहाँ के दुर्गोत्सव का 62वाँ वर्ष है। यह पहले शहर में किसी अन्य स्थान पर मनाया जाता था, लेकिन लगभग 30 वर्ष पूर्व वहाँ स्थान के अभाव में आयोजकों ने पूजा स्थल शहर के थाना रोड इलाके में स्थानांतरित कर दिया। यह नया स्थान पुरानी स्थानीय बेपरिपट्टी मस्जिद के बगल में है।
मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष फरीदुल इस्लाम ने आईएएनएस से कहा, समिति के सदस्यों ने पहले एक स्थानीय पार्क में स्थानांतरित करने की कोशिश की थी, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका। जब उन्होंने इसे यहाँ स्थानांतरित करने का फैसला किया, तो जिला प्रशासन को इलाके में सांप्रदायिक सद्भाव में गड़बड़ी की आशंका थी। उन्होंने आगे कहा, “उस समय मेरे पिता मस्जिद समिति के अध्यक्ष हुआ करते थे। उन्होंने अन्य लोगों के साथ प्रशासन से संपर्क किया और दोनों समुदायों के बीच सद्भाव भंग न करने का आश्वासन दिया था, तभी से यहाँ मस्जिद के बगल में दुर्गा पूजा आयोजित की जाती है।”
दुर्गा पूजा उत्सव मस्जिद के साथ एक ही चहारदीवारी को साझा करके शुरू किया गया था। मुस्लिम समुदाय के सक्रिय सहयोग से दुर्गा पूजा में यहाँ आपसी भाईचारे का माहौल बना रहता है। आपसी समझौते के तहत जब मस्जिद में नमाज अदा की जाती है, उस समय पूजा पंडाल में लगे लाउडस्पीकर बंद कर दिए जाते हैं। पूजा के आयोजकों में से एक ने कहा, “हमें मुस्लिम समुदाय से भरपूर सहयोग मिलता है। वे माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने और विसर्जन में सक्रिय भूमिका निभातें हैं।” उन्होंने बताया, कि इस दुर्गा पूजा की स्वर्ण और रजत जयंती हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के लोगों ने उत्साह के साथ मनाई थी। क्षेत्र में रहने वाले लोगों का कहना है, कि आने वाले समय में भाईचारे का बंधन मजबूत होने पर उत्सव और भव्य हो जाएगा।
(सबरंग इंडिया से साभार)
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