7 अक्टूबर। इस बार का नोबेल शांति पुरस्कार संयुक्त रूप से बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन ‘सिविल लिबर्टीज’ को देने का एलान किया गया है।
इस सम्मान की घोषणा के साथ नोबेल पुरस्कार कमेटी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि, “शांति पुरस्कार से सम्मानित एलेस बियालियात्स्की और यह संगठन ‘मेमोरियल’ और ‘सिविल लिबर्टीज’ अपने-अपने देशों में नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्होने वर्षों से सत्ता की आलोचना के साथ-साथ नागरिकों के बुनियादी अधिकारों के संरक्षण के लिए काम किया है।“
उन्होंने युद्ध अपराधों, मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ और सत्ता के दुरुपयोग के दस्तावेजीकरण के लिए बेहतरीन काम किया है। वे लोकतंत्र और शांति के लिए नागरिक समाज के महत्व को प्रदर्शित करते हैं।
25 सितम्बर 1962 को रूस में जनमे एलेस बियालियात्स्की, 80 के दशक के मध्य में बेलारूस में उभरे लोकतान्त्रिक आंदोलन की शुरआत करने वालों में से एक थे। उन्होंने पूरा जीवन अपने देश में लोकतंत्र और शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया है।
उन्होंने विवादास्पद संवैधानिक संशोधनों के जवाब में 1996 में विआसना (स्प्रिंग) नामक संगठन की स्थापना की थी। इस संगठन ने जेल में बंद प्रदर्शनकारियों और उनके परिवारों को सहायता की थी। इन्हें 2011 से 2014 तक जेल में रखा गया था। 2020 में शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद, उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से वो अब तक जेल में ही हैं।
वहीं रूसी मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ की स्थापना 1987 में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा की गई थी, जो यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कम्युनिस्ट शासन के उत्पीड़न के शिकार लोगों को कभी भुलाया नहीं जाएगा। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंद्रेई सखारोव इसके संस्थापकों में से थे।
यह मेमोरियल इस धारणा पर आधारित है कि नए अपराधों को रोकने के लिए पिछले अपराधों का सामना करना आवश्यक है। गौरतलब है कि सोवियत संघ के पतन के बाद, मेमोरियल रूस का सबसे बड़ा मानवाधिकार संगठन बन गया था।
वहीं यूक्रेन में लोकतंत्र और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए 2007 में यूक्रेन के कीव शहर में सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना की गई थी। इस संगठन ने यूक्रेनी नागरिक समाज को मजबूत करने के लिए एक स्टैंड लिया है और अधिकारियों पर यूक्रेन को एक पूर्ण लोकतंत्र बनाने के लिए दबाव डाला है। यूक्रेन को विधि के शासन द्वारा शासित राज्य के रूप में विकसित करने के लिए, सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज ने सक्रिय रूप से वकालत की है।
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज यूक्रेनी नागरिकों के खिलाफ रूसी युद्ध अपराधों की पहचान करने और उनका दस्तावेजीकरण करने के प्रयासों में लगा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से यह संगठन दोषी पक्षों को उनके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले साल यह पुरस्कार दो पत्रकारों, रूस के दिमित्री मुरातोव और फिलीपीन्स की मारिया रेसा को दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार लोकतंत्र और शांति के साथ बोलने की आजादी की हिफाजत के लिए दिया गया था।
स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो को मिला था इस बार चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार
यदि इस साल दिए गए अन्य नोबेल पुरस्कारों की बात करें तो 2022 साहित्य का नोबेल पुरस्कार फ्रांस की लेखिका एनी एर्नॉक्स को दिया गया है। वहीं इससे पहले 03 अक्टूबर 2022 को स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्हें यह पुरस्कार उनकी मानव के क्रमिक विकास पर की गई रिसर्च के लिए दिया गया है। स्वांते पाबो ने निएंडरथल के जीनोम को अनुक्रमित किया है। निएंडरथल वर्तमान मनुष्यों के विलुप्त रिश्तेदार हैं। इससे पहले उन्होंने अज्ञात होमिनिन, डेनिसोवा की भी सनसनीखेज खोज की थी।
इस बार का केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका की कैरोलिन आर बेरटोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन (डेनमार्क) के मॉर्टेन मिएलडॉल और अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च सेंटर के बैरी शार्पलेस को दिया गया है। इन तीनों वैज्ञानिकों को यह अवॉर्ड क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास में उनके योगदान के लिए दिया गया है।
इस बार भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मंगलवार को संयुक्त रूप से तीन वैज्ञानिकों एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉसर और एंटोन जिलिंगर को क्वांटम फिजिक्स में उनके योगदान के लिए दिया गया है। अपने प्रयोगों में भौतिक वैज्ञानिक एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉसर और एंटोन जिलिंगर ने जटिल रूप से उलझी हुई स्थिति में मौजूद कणों (पार्टिकल्स) की जांच और उनको नियंत्रण करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। उन्होने अपने प्रयोगों से स्पष्ट किया है कि दो कण अलग होने के बाद भी एक इकाई की तरह व्यवहार करते हैं।
अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता के नाम का ऐलान 10 अक्टूबर को किया जाएगा।
– ललित मौर्य
(डाउन टु अर्थ से साभार)