उप्र के फतेहपुर में पुलिस हिरासत में दलित युवक की मौत

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11 अक्टूबर। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस हिरासत में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के राधानगर पुलिस थाने का है, जहाँ एटीएम से धोखाधड़ी करने के आरोप में कीर्ति खेड़ा गाँव के अनुसूचित जाति के एक युवक सत्येंद्र कुमार को हिरासत में लिया गया था। परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया है, कि युवक को छोड़ने के नाम पर परिजनों से तीन लाख रुपए माँगे गए थे, जब परिजनों ने देने से इनकार किया तो पुलिस ने थर्ड डिग्री टॉर्चर देकर उसकी जान ले ली। कस्टडी डेथ के मामले में पुलिस की कार्यवाही भी सवालों के घेरे में है।

अनुसूचित जाति के एक युवक की पुलिस हिरासत में मौत हो जाने से हड़कंप मच गया। एसपी राजेश कुमार सिंह ने मीडिया के हवाले से बताया, कि पुलिस कस्टडी में युवक की मौत के मामले में इंस्पेक्टर सुनील सिंह, सब इंस्पेक्टर विकास सिंह सहित तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। मृतक की माँ की तहरीर पर इंस्पेक्टर सुनील सिंह, सब इंस्पेक्टर विकास सिंह व तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस भी दर्ज किया गया है। मामला एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने के चलते इसकी विवेचना सीओ जाफरगंज कर रहे हैं। पूरे मामले की निष्पक्ष विवेचना कराई जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

विदित हो कि इसी साल जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लोकसभा में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के कुछ हैरान करनेवाले आँकड़े पेश किए गए थे। इनके अनुसार भारत में पिछले दो साल में हिरासत में होनेवाली कुल मौतों की संख्या 4484 है, जिनमें सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश और फिर पश्चिम बंगाल में हुई हैं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया था, कि अकेले उत्तर प्रदेश में 2021-22 में हिरासत में कुल 501 मौतें हुईं जबकि इससे पहले यानी 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए थे।

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