11 अक्टूबर। मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 120वीं जयंती के अवसर पर नई दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में ‘देश बचाओ अभियान’ द्वारा युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया। सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक तीन सत्रों में विभाजित सम्मेलन के पहले सत्र में आयोजन के प्रमुख कुमार शुभमूर्ति ने सम्मेलन में देश के कोने कोने से आए युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों का अभिनंदन किया और देशभर में रोजगार के मुद्दे को लेकर जन आंदोलन चलाने का आह्वान किया।
इसी सत्र में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो अरुण कुमार की अध्यक्षता में विगत 10 जुलाई को गठित ‘जन आयोग’ के द्वारा देश में ‘रोजगार और बेरोजगारी’ पर 63 पेज की रिपोर्ट जारी की गई। अचानक अस्वस्थ हो जाने के कारण प्रो अरुण कुमार युवा सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाजशास्त्री तथा समाजवादी चिंतक प्रो आनंद कुमार ने की। इस सत्र में युवाओं के रोजगार के लिए आंदोलन चलाने वाले युवा हल्लाबोल के अध्यक्ष अनुपम, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो संतोष मल्होत्रा, हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू, समाजवादी समागम के रमाशंकर सिंह, पर्यावरण तथा भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नेता एसआर हिरेमथ, सांप्रदायिकता और नफरत के विरुद्ध मुहिम चलानेवाले नदीम ख़ान, हरियाणा और दिल्ली में युवाओं के रोजगार के लिए संघर्ष की युवा नेता बबीता आदि ने रिपोर्ट पर संक्षिप्त चर्चा के साथ-साथ बेरोजगारी की गंभीर समस्या पर अपने विचार रखे। इस सत्र में युवाओं के लिए संविधान में काम के अधिकार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण के द्वारा भेजे गए प्रारूप को भी प्रो आनंद कुमार के द्वारा रखा गया।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में जेपी आंदोलन में अग्रणी रहे, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक तथा गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने अपने विस्तृत संबोधन में जेपी के जीवन, चिंतन और देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान का विस्तार से स्मरण किया। उन्होंने जयप्रकाश जी के अमेरिका से अध्ययन कर लौटे मार्क्सवादी रूप से लेकर समाजवादी तथा अंततः आजादी के बाद गांधीवादी सर्वोदयी की चिंतन यात्रा का विस्तृत चर्चा की। साथ ही प्रशांत जी ने जेपी की पत्नी प्रभावती जी के द्वारा गांधीजी के प्रभाव में ब्रह्मचर्य व्रत लेने और अंततः युवा जयप्रकाश के द्वारा उसका सम्मान कर जीवन भर निभाने में प्रभावती जी का साथ देने का उल्लेख किया।
प्रशांत जी ने जेपी के कर्म और जीवन दर्शन के संबंध में कई प्रसंगों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब 1977 में जनता पार्टी की जीत का जश्न रामलीला मैदान में मनाया जा रहा था तो जेपी जश्न में शामिल होने नहीं गए थे बल्कि इंदिरा गांधी के घर बिना बताये गए और उनके सिर पर हाथ रखकर उनका मनोबल बढ़ाया। उन्होंने यह भी बताया कि जेपी सत्ता से नहीं, लोकतंत्र में लोकशक्ति को मजबूत कर समाज परिवर्तन करने में विश्वास करते थे। संपूर्ण क्रांति इसी समग्र परिवर्तन का दर्शन है।
सम्मेलन के तीसरे और अंतिम सत्र में मराठी के प्रसिद्ध लेखक चंद्रकांत वानखेड़े द्वारा मराठी में लिखित पुस्तक ‘गांधी का मरत नाही’ का हिंदी में डॉ कल्पना शास्त्री द्वारा अनूदित ‘गांधी क्यों नहीं मरते’ का लोकार्पण किया गया और कल्पना जी के साथ-साथ चंद्रकांत वानखेड़े ने इस पुस्तक के लेखन और अनुवाद के संबंध में जानकारी दी। यह पुस्तक गांधी के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन पर बराबर नजर रखते हुए हमें बताती है कि गांधी हमारे आज और आनेवाले समय के लिए क्यों जरूरी हैं, और यह भी कि उनके विचारों की दीप्ति को समाप्त करना संभव भी नहीं है।
– शशि शेखर सिंह
अध्यक्ष, जेपी फाउंडेशन