17 अक्टूबर। पश्चिम बंगाल आदिवासी विकास विभाग के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित एक योजना के तहत दशमोत्तर छात्रवृत्ति प्राप्त करनेवाले आदिवासी छात्रों की संख्या में तीन साल की अवधि में तेजी से गिरावट आई है। आदिवासी छात्रों को मिलनेवाली स्कॉलरशिप से जुड़े आँकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। साल 2017-18 के आँकड़े में कुल 79030 आदिवासी छात्रों को दशमोत्तर छात्रवृत्ति मिली थी। साल 2021 के आँकड़े बताते हैं, कि इस साल में सिर्फ 30050 छात्रों को ही पोस्ट छात्रवृत्ति दी गई है।
नियमानुसार ₹240000 तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले आदिवासी परिवारों के छात्र माध्यमिक शिक्षा स्तर से आगे अपनी पढ़ाई करने के लिए दशमोत्तर छात्रवृत्ति के हकदार हैं। पश्चिम बंगाल के आदिवासी मामलों के मंत्री बुलु चिक बारीक ने इस बारे में कहा है, कि पूरे मामले की जाँच की जाएगी। आदिवासी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई सामाजिक संगठनों ने यह सूचना दी है, कि जमीनी स्तर पर छात्रवृत्ति लेनेवाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट एक सच्चाई है। लेकिन अफसोस की बात ये है, कि आदिवासी मामलों के मंत्री या फिर अधिकारी इस मामले में कोई ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं।