25 नवंबर। बिहार में अपनी रोजी-रोटी के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम करने वाले हजारों दिहाड़ी मजदूरों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार समय पर धन उपलब्ध नहीं करा रही है। अब तक राज्य के पास केंद्र से इन कर्मियों के लिए मजदूरी का 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का बिल लंबित है। इसने श्रमिकों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी हैं, क्योंकि मनरेगा इन श्रमिकों के लिए कमाई का एकमात्र स्रोत है। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र को चेताया है कि इससे आने वाले दिनों में आजीविका की तलाश में ग्रामीण बिहार से और अधिक पलायन होगा।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने न्यूजक्लिक के हवाले से बताया कि “मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में श्रमिकों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि केंद्र द्वारा बकाया राशि का भुगतान करने में विफलता के कारण उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। अगर श्रमिकों को उनके काम करने के बाद समय पर भुगतान नहीं किया जाता है, तो उन्हें कहीं और काम करने या काम की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर किया जाएगा।” मंत्री ने कहा, कि ऐसी स्थिति के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है, क्योंकि वह मजदूरी के भुगतान के लिए धन उपलब्ध नहीं करा रही है, जो उचित माध्यमों से बार-बार अनुरोध के बावजूद लंबित हैं। उन्होंने कहा, बिहार को मनरेगा के तहत धन नहीं मिल रहा है। अगस्त में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार बनने के बाद से केंद्र बिहार की अनदेखी और भेदभाव कर रहा है। ऐसा बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन से हाथ मिलाने के जेडीयू के फैसले के कारण हुआ है।
(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)