भोपाल में किसानों के मार्च को पुलिस ने रोका, किसान धरने पर बैठे, फिर पुलिस ने ज्ञापन दिलवाया

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26 नवंबर। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में संयुक्त किसान मोर्चा, मध्यप्रदेश से संबद्ध किसान संगठनों से जुड़े हजारों किसानों ने यादगारे शहाजहानी पार्क में सभा कर राजभवन की ओर मार्च शुरू किया जिसे नीलम पार्क पर पुलिस द्वारा रोका गया।

किसानों का कहना था कि भारतीय किसान संघ (जो कि आरएसएस-भाजपा का अपना किसान संगठन है) के किसानों से मुख्यमंत्री मिल सकते हैं तो अन्य किसान संगठनों से क्यों नहीं?

पुलिस अधिकारियों को किसानों ने ज्ञापन देने से इनकार कर दिया और सड़क पर धरना शुरू कर दिया, तब जाकर किसानों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को पुलिस अधिकारियों ने राजभवन ले जाकर ज्ञापन दिलवाया।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 नवंबर को संविधान दिवस पर राष्ट्रव्यापी “राजभवन मार्च”आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से “भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन” सौंपने का आह्वान किया था जिसके तहत देश की सभी राजधानियों में राजभवनों पर प्रदर्शन किया गया।

राष्ट्रपति को राज्यपाल के माध्यम से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए सी2+50 फीसदी के फार्मूला से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति व उसका घोषित एजेंडा किसानों द्वारा प्रस्तुत मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एमएसपी पर सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए, किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, केंद्र सरकार के वादे के अनुसार एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल कर, एमएसपी पर एक नई समिति का पुनर्गठन किया जाए।

खेती में बढ़ रही लागत के दाम और फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिलने के कारण 80 फीसदी से अधिक किसान भारी कर्ज में फंस गए हैं, और आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ऐसे में, आपसे निवेदन है कि सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएं।

बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया था कि, “मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।” इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने बिना कोई विमर्श के यह विधेयक संसद में पेश किया।

लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।

लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो निर्दोष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का सरकार अपना वादा पूरा करे।

सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, फसल संबंधी बीमारी, आदि तमाम कारणों से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार सभी फसलों के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा लागू करे। सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना लागू की जाए।

किसान आन्दोलन के दौरान भाजपा शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में किसानों के ऊपर जो फर्जी मुकदमे लादे गए हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए। किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, और शहीदों किसानों के लिए सिंघू मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाए।

मध्यप्रदेश के किसान तथा आदिवासी, खेत मजदूर भूमि, एवं पर्यावरण से जुड़े संगठनों की ओर से राज्यपाल को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। राज्यों के मुद्दों को ज्ञापन में निम्नलिखित मुद्दों पर शासन को निर्देश एवं परामर्श देने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि बेमौसम की बारिश तथा सामान्य से कम बारिश से प्रभावित हुए किसानों को उनकी फसल के नुकसान की भरपाई करने लायक राशि का मुआवजा दिया जाए और इसके आकलन के लिए खेत को इकाई माना जाए। पहले रोकी जा चुकी अटल एक्सप्रेस वे की चंबल क्षेत्र से गुजरने वाली परियोजना को पुनः प्रारम्भ करने का विचार त्याग दिया जाए। इस बारे में गुपचुप तरीके से, बिना किसानों को सूचित किये किया जाने वाला सर्वे रोका जाए। इस सर्वे की वजह से आहत हुए श्योपुर के किसान की मृत्यु पर उसके परिजनों को 1 करोड़ रुपया मुआवजा दिया जाए। पूरे प्रदेश में व्याप्त खाद संकट से किसानों को निजात दिलाने के लिए (अ) आवश्यकता से पहले ही पर्याप्त मात्रा में खाद का भंडार उपलब्ध रखा जाए, (ब) कालाबाजारी पर सख्ती से रोक लगाई जाए, (स) समितियों और निजी व्यापारियों के माध्यम से खाद बिक्री का पुराना अनुपात 70:30 बहाल किया जाए, (द) खाद की मनमानी दरों पर रोक लगाकर सस्ती खाद उपलब्ध करायी जाए।

प्रदेश में आवारा पशुओं ने फसल तबाह कर किसानों की जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है। इस आपदा की रोकथाम के लिए (अ) प्रत्येक गौपालक किसान को प्रति माह 1000 रुपये प्रति गाय सहायता राशि दी जाए, (ब) पशु व्यापार पर लगी रोक हटाई जाए और पशु व्यापारियों पर कथित गोरक्षकों के हिंसक हमलों पर सख्त कार्रवाई की जाए, (स) गौशालाओं में अकल्पनीय भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए।

किसान सम्मान निधि से वंचित किसानो को उसमें शामिल किया जाए तथा उन्हें एरियर सहित भुगतान किया जाए। निधि की राशि बढ़ाकर दो गुनी की जाए।

बिजली बिलों के नाम पर लूट बंद कर किसानों को मुफ्त बिजली दी जाए। बिजली विभाग द्वारा बनाए फर्जी मुकदमे वापस लेकर उनके बिल माफ किए जाएं।

ड्रोन के जरिये किये जा रहे हवाई सर्वे से भू अभिलेखों का अद्यतनीकरण रोका जाए। भूअभिलेखों के डिजिटलाइजेशन में व्याप्त गड़बड़ी और भ्रष्टाचार खत्म किया जाए। पूर्व रिकार्ड में शासकीय मद में दर्ज हजारों एकड़ बेशकीमती भूमियों को मिलीभगत कर निजी भू स्वामी के नाम दर्ज की गई भूमियों की सीबीआई जांच कर कार्रवाई की जाय।

आदिवासियों की तथा वनों की जमीन को कारपोरेट कंपनियों को दिए जाने को रोका जाए। खेत मजदूरों की दैनिक मजदूरी बढ़ाते हुए उन्हें कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लिया जाए।

ओबीसी समुदायों की वास्तविक संख्या सुनिश्चित करने के लिए जनगणना की जाए।

किसानों के समस्त कर्जे माफ किए जाएं। बैंक एवं बिजली विभाग द्वारा की जा रही जबरन वसूली पर रोक लगाई जाए। गांव से लगे खेतों को जाने वाले रास्तों का खेत सड़क एवं सुदूर सड़क योजना चालू कर प्राथमिकता से रोड निर्माण कराए जाएं। किसानों और खेतिहर मजदूरों को 5000 रुपये प्रति माह किसान पेंशन दी जाए्।

किसानों की सभा का संचालन बादल सरोज- प्रदेश अध्यक्ष,अखिल भारतीय किसान सभा ने किया। डॉ सुनीलम- किसान संघर्ष समिति, एनपीएम, अनिल यादव ,भारतीय किसान यूनियन( टिकैत),क्षअखिलेश यादव -मध्य प्रदेश किसान सभा, जनक राठौर- अखिल भारतीय किसान सभा, एड. शिव सिंह- संयोजक, संयुक्त किसान मोर्चा रीवा संभाग, प्रहलाद दास बैरागी- प्रदेश महासचिव अखिल भारतीय किसान सभा, इरफान जाफरी -किसान जागृति संगठन प्रमुख, सोनू शर्मा- ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन, रामस्वरूप मंत्री- संयोजक किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ क्षेत्र, बबलू जाधव -भारतीय किसान मजदूर सेना, इंदौर, कमलेंद्र पटेल, दिलीप शर्मा, किसान क्रांति, भोपाल ओबीसी महासभा, धर्मेंद्र कुशवाहा- ओबीसी महासभा, रामनारायण कुररिया, मध्य प्रदेश आदिवासी एकता महासभा, श्रीकांत द्विवेदी, भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन आदि नेताओं ने किसान मार्च का नेतृत्व किया। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह, सीपीएम के राज्य सचिव जसविंदर सिंह और सीपीआई के राज्यसचिव शैलेंद्र शैली ने आंदोलन का समर्थन किया।

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