1 दिसंबर। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत सभी छात्रों के लिए आठवीं कक्षा तक अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान का उल्लेख करते हुए सरकार ने अब अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अपनी प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को 9वीं और 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों तक सीमित कर दिया है। इससे पहले प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में पहली कक्षा से 8वीं तक की शिक्षा के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी शामिल किया जाता था। प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति(एससी) और अनुसूचित जनजाति(एसटी) के छात्रों को केवल कक्षा 9वीं और 10वीं से पूर्णकालिक आधार पर कवर किया जाता है।
गौरतलब है, कि भाजपा सरकार जानबूझकर नफरत की राजनीति के जरिये देशभर के अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है, अल्पसंख्यकों में खासकर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। अल्पसंख्यकों को कभी आतंकवादी के नाम पर बदनाम किया या मारा जाता है, तो कभी बीफ के बहाने तो कभी मॉब लिंचिंग में उनको मौत के घाट उतारा जाता है। इतना ही नहीं उनको उनके मौलिक अधिकारों से भी वंचित करने का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। अब सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप को बंद कर दिया है।
विदित हो कि केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है। अंतिम समय में हुए इस आदेश से मदरसा संचालकों में निराशा है। केंद्र सरकार की ओर से प्री मैट्रिक योजना के अंतर्गत पहली से दसवीं तक के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके लिए 15 नवंबर तक आवेदन माँगे गए थे। संस्थानों की ओर से सत्यापन के बाद आवेदन फारवर्ड भी कर दिए गए हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय की ओर से अब इसकी हार्ड कॉपी की माँग की गई थी, लेकिन शनिवार को अचानक प्रक्रिया रोक दी गई। संस्थान प्रतिनिधियाें को बताया गया कि पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी। सिर्फ नौवीं एवं दसवीं के विद्यार्थियों के आवेदनों की ही हार्ड कॉपी जमा की जाए।