राजनारायण जी को छोड़कर चौधरी चरण सिंह उप-प्रधानमंत्री तो बन गए। परन्तु – आठवीं किस्त

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

सी मध्य एक नयी स्थिति पैदा हो गई। उत्तर प्रदेश में 15 फरवरी को जनसंघ, कांग्रेस (ओ), सी.एफ.डी. (बाबू जगजीवन राम), चंद्रशेखर ग्रुप ने मिलकर रामनरेश यादव (चौ. चरण सिंह, राजनारायण समर्थक) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में 9 मतों (रामनरेश यादव को 190 तथा विरोधियों को 199) से पराजित कर दिया। इसकी जगह उत्तर प्रदेश में नई बनी बनारसीदास गुप्ता की सरकार के खि़लाफ विरोधी भी लामबंद हो गए। इसलिए राजनारायण जी तथा 36 अन्य लोगों के खिलाफ उनकी गतिविधियों को लेकर नोटिस जारी कर किये गये।

राजनारायण जी ने केंद्रीय संसदीय बोर्ड द्वारा अपनाए गए दोहरे मापदंड की आलोचना करते हुए कहा कि एक तरफ उत्तर प्रदेश में विश्वास मत करवाया, वहीं जनसंघ समर्थक राज्य हिमाचल प्रदेश में असंतुष्ट विधायकों की मांग के बावजूद विश्वास मत प्राप्त करने का आदेश इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वह आरएसएस जनसंघ ग्रुप के हैं।

बिहार में लोकदल, चौ. चरण सिंह, राजनारायण समर्थक मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल से विरोधी ग्रुप के 13 मंत्रियों ने 17 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया। बिहार में 30 वोटों के बहुमत से कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल को परास्त कर दिया गया। चौ. देवीलाल बिहार के घटनाक्रम से शंकित हो उठे। उन्हें लगा कि अब उनकी बारी है। उन्होंने जनसंघ घटक के चार मंत्रियों को मंत्रिमंडल से निकाल दिया।

जनता पार्टी अध्यक्ष द्वारा निर्देशित जनता पार्टी के केंद्रीय दफ़्तर ने राजनारायण जी के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कमेटी में निर्णय लेने के लिए भेज दिया। राजनारायण जी ने अपना पक्ष रखा। 12 जून को कमेटी ने पार्टी की कार्यकारिणी से राजनारायण जी को तथा चौ. देवीलाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने का निर्णय सुना दिया।

20 जून 1979 को मधु लिमये ने जनता पार्टी अध्यक्ष श्री चंद्रशेखर को राजनारायण जी के ऊपर की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के विरोध में एक पत्र लिखा।

प्रिय चंद्रशेखर,
मेरे सीरिया से वापिस आने पर अनुशासन समिति द्वारा श्रीराजनारायणजी पर की गई कार्यवाही पढ़ने को मिली। जिन आरोपों पर श्रीराजनारायण जी पर कार्यवाही की। वे पिछले वर्ष के मध्य तथा 1979 के आरंभ के हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस मध्य पार्टी में लगभग विभाजन का संकट था। सभी धन्यवाद के पात्र हैं, जिनकी कठिन मेहनत तथा विशेष रूप से आपके प्रयास से संकट को समाप्त कर श्री चरण सिंह तथा उनके मित्र मंत्रिमंडल में पुनः शामिल हो गए। इस बात में कोई शक नहीं है कि श्री चरणसिंह जी ग्रुप के आने से केंद्रीय सरकार को शक्ति तथा स्थायित्व मिला। इस मसले के समाधान के बाद श्री राजनारायण के विरुद्ध कार्यवाही करने का क्या औचित्य है? हर कोई इस बात की ताईद करेगा कि वे पार्टी के एक महत्त्वपूर्ण सदस्य हैं तथा जिन्होंने श्रीमती गांधी के अधिनायक शासन को ख़त्म करने तथा लोकतांत्रिक शक्तियों की विजय मे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मैं आपसे अपील करता हूं कि आप अनुशासनात्मक कार्यवाही में हस्तक्षेप करके, होने वाले नुकसान को रोकें। बहुत सारे लोगों द्वारा इससे पहले घोर अनुशासनहीनता के कार्य किये गये। हाल ही में यू.पी. में असंतुष्ट तबके ने बजट प्रस्ताव पर नकारात्मक वोट कर राज्य सरकार को गिराने का नंगा प्रयास किया। जिन लोगों ने पार्टी के नियमों का घोर उल्लंघन किया, उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई।

कृपया यह न सोचें कि मैं किसी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ज़ोर डाल रहा हूं। सच्चाई यह है कि मैं पार्टी के आंतरिक हालात को देखकर अनुशासनात्मक कार्यवाही के पक्ष में नहीं हूं तथा स्थितियां, जिसके कारण यह उत्पन्न हुई हैं। आज ज़रूरत है कि आपसी सहमति तथा कई अन्य कारणों से जिनसे आप भलीभांति परिचित हैं। इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप इस सज़ा (राजनारायण) को ख़त्म करने का क़दम उठाकर पार्टी में सामान्य वातावरण निर्माण करने का कार्य करें। पार्टी में कई तत्त्व ऐसे हैं जो ज़ोर से बोलकर पार्टी में अनुशासन स्थापित करने की बात करते हैं, परंतु स्वयं घोर अनुशासनहीनता करने से उन्हें कोई गुरेज़ नहीं है। आपको इस तरह के तत्त्वों का अनादर करते हुए अनुदार दृष्टि का प्रयोग करना चाहिए।

मैं जानता हूं कि अक्सर लोग संगठन की इस हालत के लिए आपको जिम्मेदार ठहराते हैं। परंतु मैं बिना किसी विरोधाभास व डर से कह सकता हूं कि आपकी इस उदारवादी कार्यशैली के कारण पार्टी के विभाजन, जिसको हमारे दुश्मनों तथा समाचारपत्रों के ‘उद्देश्यपूर्वक’ प्रेक्षकों द्वारा ‘सप्ताह से सप्ताह’ महीनों से, लगातार पिछले दो वर्षों से जनता पार्टी के विघटन की भविष्यवाणी कर रहा था उसको आपने हर बार ग़लत साबित कर दिया।

मैं आशा करता हूं कि आप मेरे इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करेंगे।
शुभकामनाओं सहित,
आपका
मधु लिमये

(जारी)

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