5 जनवरी। केंद्र सरकार बजट 2022 में खाद्य और उर्वरक की सबसिडी पर पहले ही जमकर कैंची चला चुकी है। अब बढ़ते राजकोषीय घाटे पर काबू पाने के लिए एक बार फिर से उर्वरक और खाद्य सबसिडी घटाने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस कदम से आम गरीब जनता के साथ-साथ किसानों की भी मुश्किले बढ़ेंगी। सरकार के इस कदम से महंगाई और गरीबी का सामना कर रही आम जनता को महंगा अनाज खरीदना पड़ेगा, वहीं किसानों को भी महंगा खाद खरीदना पड़ेगा। न्यूज-18 की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है, कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए फूड और फर्टिलाइजर्स पर सबसिडी में करीब 26 फीसदी की कटौती की जा सकती है। इसका मकसद बढ़ते राजकोषीय घाटे पर काबू पाना है।
विदित हो, कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए जारी कुल 39.45 लाख करोड़ रुपये के बजट का आठवां हिस्सा सिर्फ खाद्य और खाद की सब्सिडी पर खर्च हो गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष में में यूरिया सब्सिडी के लिए 63 हजार 222 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया। यह 2021-22 के संशोधित अनुमान से 17 प्रतिशत कम है। एनपीके खाद के लिए 42 हजार करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है, जो पिछले साल के संशोधित अनुमान से 35 फीसदी कम है।
फूड सबसिडी को कम करने से गरीबों की थाली पर बुरा असर पड़ा है। अब इसमें और कटौती करने का और ज्यादा बुरा असर पड़ सकता है। सबसिडी को कम करने का मतलब है, कि अब गरीबों को पहले के मुकाबले महंगे दाम पर अनाज मिलेगा। केंद्र सरकार द्वारा सबसिडी कम करने से खाद के दाम बढ़ जाएंगे। सरकार यह कदम ऐसे समय उठा रही है, जब किसानों की आय दोगुनी करने का सरकारी वादा पूरा नहीं हुआ है।