खेल के जरिये नफरत खत्म करने की अनूठी पहल

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14 जनवरी। “मजहब नहीं सिखाता,आपस में बैर रखना। हिन्दी है हम वतन है,हिन्दोस्ता हमारा।” इस गंगा जमुनी तहजीब को और मुखर करने का कार्य बिहार के एक छोटे से कस्बे में विगत चार वर्षों से आयोजित हो रहे एक क्रिकेट टूर्नामेंट “सद्भावना कप” के जरिये हो रहा है। पटना के युवाओं की संस्था समर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा इसी जिले के नेउरा इलाके में पंचायत स्तर पर आयोजित इस टूर्नामेंट की सबसे खास बात यह है, कि यह सामाजिक भागीदारी की पिच पर खेला जाता है। इसमें भाग लेने वाली टीमों के लिए पहली शर्त यह होती है कि उसके खिलाड़ी समाज के हर समुदाय और वर्ग से हों।

इस टूर्नामेंट की किसी टीम में कुल 15 खिलाडियों में से 2 खिलाड़ी एससी-एसटी, 2 खिलाड़ी अल्पसंख्यक, 2 खिलाड़ी ओबीसी और 2 खिलाड़ी सामान्य वर्ग से होना जरूरी है। समर चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव सरफराज अहमद ने मीडिया के हवाले से बताया, कि सभी धर्म और जातियों के युवाओं को एक टीम में जोड़ने का मकसद था, कि उनके बीच अलग अलग समुदायों के लिए जो विरोधाभास और नफरत है, उसे खत्म किया जाए। साथ ही इस विचार को खत्म करना था, कि भारत जितना हिंदुओं का है, उतना मुसलमानों का नहीं है। ये तय हुआ, कि हिंदू और मुसलमानों के विभिन्न तबकों के युवा जब एक जगह मिल-बैठकर संवाद करेंगे, एक-दूसरे के घर पर आना-जाना कर भोजन करेंगे तब यह नफरत की दीवार गिरेगी।

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