मानवाधिकार संगठन एचआरडब्ल्यू ने मुसलमानों और गरीबों के घरों को गिराने की आलोचना की

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15 जनवरी। विश्व भर में मानवाधिकारों की स्थिति पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच'(एचआरडब्ल्यू) की नवीनतम रिपोर्ट में भारत में मुसलमानों और गरीबों के घर गिराने के विभिन्न राज्य सरकारों के अभियान की आलोचना की गई है। अमेरिकी संगठन ने अपनी रिपोर्ट में 100 देशों में मानवाधिकारों के हनन का विवरण देते हुए कहा, कि कैसे 2022 में भारत की विभिन्न राज्य सरकारों ने गरीब लोगों, विशेषतौर पर मुसलमानों के खिलाफ गैरन्यायिक सजा के तौर पर उनके घर गिराने की कार्रवाई की। यह शायद पहली बार है, कि एक वैश्विक मानवाधिकार निकाय ने कमजोर समूहों के खिलाफ सरकार द्वारा चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान को अमल में लाने पर चिंता व्यक्त की है।

एचआरडब्ल्यू ने कहा है, कि मुसलमानों के घरों को गिराने की कार्रवाई भाजपा शासित राज्य सरकारों द्वारा तेजी से की जा रही है। रिपोर्ट में 2022 की ऐसी कई घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जो मुस्लिम समुदाय को राज्य सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाएं प्रतीत होती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, अप्रैल में अधिकारियों ने मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पों के जवाब में मुस्लिमों की संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने संपत्तियों के अवैध होने का दावा करके विध्वंस को सही ठहराने की कोशिश की, लेकिन यह कार्रवाई मुसलमानों के लिए सामूहिक सजा प्रतीत होती है।

रिपोर्ट में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान का हवाला देते हुए कहा गया, कि उन्होंने धमकी दी थी, कि पत्थरबाजी में शामिल लोगों के घरों को मलबे में बदल दिया जाएगा। रिपोर्ट में बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही कहा गया है, कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के तीन साल बाद भी सरकार ने स्वतंत्र अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण विधानसभा और अन्य बुनियादी अधिकारों को प्रतिबंधित करना जारी रखा है। मनमाने ढंग से जम्मू कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम और यूएपीए का इस्तेमाल पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के लिए किया गया है।

(MN News से साभार)

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