25 जनवरी. संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को 8 सप्ताह की अंतरिम जमानत के आदेश पर सदमे और निराशा का इजहार किया है। गौरतलब है कि आशीष मिश्रा ने ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 4 किसानों और 1 पत्रकार को दिनदहाड़े अपने वाहन से कुचलकर मार डाला था. अलबत्ता यह दिलासा की बात सिर्फ यह है कि आदेश यह निर्धारित करता है कि मिश्रा को अंतरिम जमानत पर रिहाई के 1 सप्ताह के भीतर यूपी छोड़ना होगा और वह यूपी या दिल्ली के एनसीटी में नहीं रह सकता है। यह सर्वविदित है कि आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने उनका और भाजपा सरकार का विरोध करने वाले किसानों को जान से मारने की धमकी दी थी, और किसानों की हत्या इसी का एक अनुवर्ती कदम था। मिश्रा सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़ा एक सियासी रसूख वाला शख्स है; उसकी रिहाई गवाहों को आतंकित करेगी और जांच को खतरे में डालेगी। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि भाजपा के नेतृत्व वाली यूपी सरकार आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी को टाल रही थी, और अंततः सुप्रीम कोर्ट को स्वतंत्र जांच और कार्रवाई का आदेश देना पड़ा था। कल्पना की जा सकती है कि जमानत पर आजाद होकर मिश्रा न्याय की कार्यवाही पर कैसा असर डालने की कोशिश करेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने शुरू से ही लखीमपुर खीरी के दोषियों को जल्द सजा और अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की है, ये दोनों मांग न मानकर बीजेपी सरकार ने अपने किसान विरोधी रवैये का ही परिचय दिया है। अजय मिश्रा के आतंक का शासन फिर शुरू नहीं हो यह सुनिश्चित करने के लिए एसकेएम सतर्कता बनाए रखेगा और सुप्रीम कोर्ट से विनम्रतापूर्वक मांग करता है कि उसकी अंतरिम जमानत को रद्द कर दिया जाए, और किसी भी हालत में इसे आगे नहीं बढ़ाया जाए। आशीष मिश्रा और उसके पिता अजय मिश्रा समाज के लिए खतरा हैं और उन्हें समाज पर कहर ढाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
एसकेएम ने इस बात पर खुशी जताई है कि लखीमपुर खीरी घटना के कारण जेल में बंद निर्दोष किसानों को अंतरिम जमानत मिल गई है। एसकेएम ने किसानों को स्थायी जमानत देने और उनके खिलाफ फर्जी मामलों को वापस लेने की मांग दोहराई है।
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