
— डॉ सुरेश खैरनार —
एक सौ चालीस करोड़ की जनसंख्या के देश में एकमात्र भारतीय गौतम अडानी है जिसकी संपत्ति इतनी तेजी से बढ़ी है ! वह विश्व में एकमात्र आदमी होगा जिसे इतनी
आर्थिक कलाबाजियां आती होंगी, और इसी रहस्य को उजागर करने का काम हिंडेनबर्ग ने बहुत तफसील से किया है ! गौतम अडानी ने अपने घोटालों को उजागर करने के काम को भारत के ऊपर हमला कहा है !
इसे देखते हुए, मुझे आज से इक्कीस साल पहले का एक ऐसा ही तर्क याद आ रहा है ! तब गुजरात दंगे की आलोचना करने वाले लोगों को, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी ने, गुजरात के पांच करोड़ लोगों का अपमान करने वाला बताया था ! अब वैसी ही दलील अडानी दे रहे हैं! चार सौ से अधिक पन्ने खर्च करके, हिंडनबर्ग रिपोर्ट को ‘भारत के ऊपर हमला’ करार देते हैं! क्या इस जुमले से यह सच्चाई छिप जाएगी कि अदानी उद्योग समूहका विस्तार इतनी तेज रफ्तार से कैसे हुआ ! वह भारत के ऊपर हमला जैसे जुमले का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? जाहिर है, हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर परदा डालने के लिए, जिसमें यह बताया गया है कि अदानी ने कौन-कौन से फरेब किये हैं!
गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि “राजधर्म का पालन नहीं किया गया!” और सोनिया गांधी ने “मौत का सौदागर” जैसे कडे़ शब्दों में आलोचना की थी. इस सब का गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास एक ही जवाब था कि “पांच करोड़ गुजरातियों का अपमान किया जा रहा है !
इस देश के सामान्य नागरिकों के पसीने की कमाई से बैंक में जमा पूंजी को और जीवन बीमा जैसी कंपनी में करोड़ों देशवासियों की जिंदगी भर की कमाई के पैसे को लेकर अपनी खुद की पूंजी बढ़ाने में लगा हुआ अडानी देशभक्ति की आड़ में अपने घोटालों को छुपाने की कोशिश कर रहा है !
याद कीजिए, अग्निवीर जैसी हमारे देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वाली योजना की आलोचना करने वाले लोगों को सरकार की तरफ से क्या कहा गया था? उन पर हमारे देश की सेना का अपमान करने का आरोप लगाया गया ! और योजना क्या थी? देश की रक्षा के लिए अत्यंत कड़ी ट्रेनिंग देकर बनाई गई सेना के जवानों को सिर्फ तीन चार साल के लिए भर्ती करके उन्हें विदा कर दिया जाएगा ! यह आसानी से समझा जा सकता है कि यह योजना भारत की सुरक्षा के लिए कितना नुकसानदेह हो सकती है?
लेकिन अग्निवीर योजना का विरोध करना मौजूदा निजाम की निगाह में देशद्रोह है ! अगर यही देशद्रोह का पैमाना है तो फिर आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं होने वाले लोगों को देशभक्त बोलना होगा!
आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं होने वाली जमात के, वर्तमान समय के शासकों का देशभक्ति के नाम पर यह भोंडा पाखंड विगत नौ सालों से लगातार जारी है ! और बात-बात में विरोधी दलों के नेताओं के घरों पर ईडी, आईबी की तरफ से द्वेषपूर्ण छापामारी का सिलसिला भी जारी है ! लेकिन हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट की बाबत ये जांच एजेंसियां क्यों खामोश हैं? कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं? इतने बड़े मामले में छापेमारी क्यों नहीं होती?
बैंकों के सभी नियम-कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को, देश की आड़ में बोलते हुए देखकर, उसके औद्योगिक साम्राज्य के विस्तार का इतिहास देखकर कोई भी व्यक्ति हैरान हुए बिना नहीं रह सकता !
अडानी समूह का पिछले 30-35 सालों का सफरनामा देखा जाए तो ! मुंबई जैसे शहर में एक मामूली सी गहने की दुकान चलाने वाले अडानी आज भारत की आधे से भी अधिक बिजली का उत्पादन करने से लेकर कांडला जैसे पोर्ट के मालिक हैं ! अडानी समूह की मालकियत होने का सफर, और उस पोर्ट को कब्जे में करने के तुरंत बाद, मॅन्ग्रोव जैसे सैकडो़ं हेक्टेयर जमीन पर सुरक्षित रखे गए अंतरराष्ट्रीय धरोहर को नष्ट करने का गुनाह कर चुके ! और उसके लिए ग्रीन ट्रायब्यूनल जैसे पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष रूप से बनाए गए कोर्ट ने 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है !
इस उद्योग समूह के लिए, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में सभी नियम-कानूनों की अनदेखी करते हुए, जबरदस्त पक्षपात किया है ! और इसी कारण गुजरात में ज्यादातर स्थानों पर, अडानी ऊर्जा नाम के पेट्रोल पंपों से लेकर, और भी कई तरह के उद्योगों के लिए विशेष रूप से सहयोग किया है ! और अब तो संपूर्ण भारत में और कई अन्य देशों में भी अपने औद्योगिक साम्राज्य का विस्तार किया है !
और उसी सहयोग के बदले में, नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए, 2013 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, अडानी ने अपने प्रायवेट जेट विमान देकर, मोदी जी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने में मदद की है ! तभी तो पांच सौ से अधिक चुनावी प्रचार सभा करने का भारत के चुनाव प्रचार के इतिहास में उन्होंने रेकॉर्ड बनाया! और कितना पैसा दिया होगा सो अलग!
आज से नब्बे साल पहले के जर्मनी में क्या हुआ था ! हिटलर ने बाकायदा जर्मनी के सभी उद्योगपतियों की बैठक बुलाकर, अपने दल को सत्ता में लाने के लिए अपनी पूंजी दिल खोलकर लगाने का आह्वान किया था ! और तत्कालीन जर्मनी के पूंजीपतियों ने हिटलर के इस आह्वान का साथ दिया था ! 30 जनवरी 1930 को हिटलर जर्मनी के चांसलर पद पर आरूढ़ होने में कामयाब हुआ था ! और गिनकर पंद्रह साल नब्बे दिनों तक, संपूर्ण यूरोप की छाती पर मूंग दलते हूए, लाखों की संख्या में यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया ! ( 24 अप्रैल 1945 को हिटलर ने आत्महत्या कर ली !)
एकछत्र राज करने के लिए हिटलर ने जर्मनी की सभी संवैधानिक संस्थाओं को खत्म कर दिया. और गोएबल्स जैसे आदमी की मदद से उसने झूठ को लगातार फैलाने और झूठ को सच बनाने के लिए एक जबरदस्त प्रचारतंत्र खड़ा किया था ! उस काले इतिहास को जिन्होंने अपनी आँखों से घटित होते देखा था उनमें कुछ लोग (जो तब बच्चे थे) आज भी मौजूद हैं !
वर्तमान भारत में भी, कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो, हमारे देश के लगभग सभी पूंजीपति वर्तमान सरकार को बनाने से लेकर उसे दोबारा सत्ता में वापसी कराने के लिए विशेष रूप से इकट्ठा होकर मदद करते रहे हैं ! जिनमें गौतम अडानी नंबर एक पर हैं ! और इसीलिए इस उद्योग समूह की वृद्धि दर विश्व के औद्योगिक इतिहास में सबसे अधिक है ! और इसीलिए गौतम अडानी, हिंडेनबर्ग रिपोर्ट को ‘भारत के ऊपर हमला’ बताने की हिम्मत कर रहा है! क्या अडानी इंडिया है और इंडिया अदानी है?
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