21 फरवरी। पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर में ट्रांसपोर्ट एजेंसियों के अंर्तगत काम करने वाले पल्लेदारों ने एक विरोध मार्च निकाला। ये मार्च ‘दिल्ली ट्रांसपोर्ट कर्मचारी लाल झंडा यूनियन’ के बैनर तले कैलाश नगर लालबत्ती से शुरू कर विभिन्न जगहों से होता हुआ पुनः कैलाश नगर लालबत्ती पर पहुँचा। इस मार्च में विभिन्न ट्रांसपोर्ट एजेंसियों के अंर्तगत काम करने वाले सैकड़ों पल्लेदारों ने भाग लिया। विदित हो, कि ये पल्लेदार लोडिंग और अनलोडिंग का काम करते हैं। ये ऐसे कामगार हैं, जिनके काम का कोई रेट तय नहीं है, जबकि इनका काम बेहद जोखिम वाला होता है। इस काम से हादसों की खबरें प्रकाश में आती रहती हैं। इन कामगारों को महीने में ₹12000 से ₹16000 तक कमाने के लिए दस से बारह घंटे तक काम करना पड़ता है।
‘ट्रांसपोर्ट कर्मचारी लाल झंडा यूनियन’ के सचिव कृपाल चौहान ने न्यूजक्लिक के हवाले से बताया कि हम सड़क पर हैं, क्योंकि हमारे पास कोई सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा नहीं है। मालिक अपनी मर्जी से काम कराते हैं। रेट तय नहीं है। अपनी मर्जी से कुछ भी पैसा देते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार हम सभी को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करे, और काम का एक उचित रेट तय करे। विदित हो कि अधिकतर पल्लेदार प्रवासी मजदूर हैं, जोकि जम्मू-कश्मीर, बिहार तथा अन्य राज्यों के भूमिहीन किसान परिवारों से या फिर बहुत ही कम जोत वाले किसान परिवारों से आते हैं। इन मजदूरों के पास अपने गृहराज्य में कोई आय का साधन नहीं होने के कारण इन्हें दिल्ली जैसे शहरों में आकर रहना पड़ता है।