हजारों बच्चों को तस्करी से बचाया गया; बचपन बचाओ आंदोलन’ और आरपीएफ की साझा कार्रवाई

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21 फरवरी। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍म‍ानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन'(बीबीए) और भारतीय रेलवे सुरक्षा बल सेवा ने जनवरी, 2020 से अब तक संयुक्‍त छापामार कार्रवाई के तहत 1,600 से अधिक बच्‍चों को तस्करों के चंगुल से बचाया है, साथ ही 337 तस्करों को गिरफ्तार भी किया है। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के संस्थापक कैलाश सत्‍यार्थी और आरपीएफ पुलिस के महानिदेशक संजय चंदर ने ‘रेलवेज मेकिंग द ब्रेक इन ट्रैफिकिंग’ नाम से एक रिपोर्ट जारी कर इसकी जानकारी दी है।

दरअसल, भारतीय रेलवे नेटवर्क देश में परिवहन का सबसे बड़ा साधन है। रेलवे की क्षमता को तस्करों ने अपने घृणित व्‍यापार का माध्‍यम बना लिया है। सस्‍ता, सुलभ और पहचान छिपाने में आसानी होने के कारण तस्कर हर साल हजारों बच्‍चों व महिलाओं की तस्करी के लिए रेलवे का सहारा लेते हैं। संभवत: यह दुनिया में रेलवे द्वारा तस्करों के खिलाफ किया जा रहा सबसे बड़ा ऑपरेशन है। विदित हो, कि मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अवैध कारोबार है, और यह अरबों डॉलर का व्‍यापार बन चुका है। भारत में भी बाल श्रम, जबरन मजदूरी, बाल वेश्‍यावृत्ति, बाल विवाह आदि के लिए बड़े पैमाने पर बच्‍चों की तस्करी की जाती है। रेलवे इसका एक बड़ा जरिया है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए बीबीए और आरपीएफ ने संयुक्‍त अभियान चलाया।

कैलाश सत्‍यार्थी ने रेलवे सुरक्षा बल की सराहना करते हुए मीडिया के हवाले से बताया, कि दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे का इस्‍तेमाल तस्करों द्वारा हर साल हजारों बच्‍चों व महिलाओं की तस्करी में किया जा रहा है। मैं रेलवे सुरक्षा बल के नेतृत्‍व और उनकी टीम की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करता हूँ, जो कि चौबीसों घंटे बच्‍चों को तस्करों के चंगुल से बचाने में लगे हुए हैं। विदित हो कि ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की स्‍थापना कैलाश सत्‍यार्थी ने वर्ष 1980 में की गई थी। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ अब तक 1,13,500 बच्‍चों को रेस्‍क्‍यू कर चुका है। बीबीए और आरपीएफ ने तस्करी रोकने के लिए मई, 2022 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था।

(‘जनता से रिश्ता’ से साभार)

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