कृपाशंकर पनिका अध्यक्ष और तेजधारी गुप्ता मंत्री चुने गए
26 फरवरी. 1991 में नई आर्थिक नीति आने के बाद पूरे देश में सार्वजनिक उद्योगों का निजीकरण किया गया, राष्ट्रीय संपत्ति की बड़े पूंजी घरानों द्वारा लूट की गई और मजदूरों के अधिकारों पर हमला किया गया. चाहे जिस दल की भी सरकार रही हो, मजदूरों के अधिकारों में उसने कटौती की और मजदूरों के हितों में बने कानूनों को खत्म करने का काम किया. मौजूदा सरकार ने तो सारे श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोर्ट संसद से पास कराए हैं. यह सरकार काम के घंटे 8 से 12 करने पर आमादा है. योगी सरकार ने तो कोरोना महामारी के समय इसे करने का प्रयास भी किया था. लेकिन हाईकोर्ट में हमारे हस्तक्षेप के बाद इसे वापस लेना पड़ा.
मौजूदा दौर में मजदूरों को पूंजीवादी राजनीतिक दलों से उम्मीद छोड़ कारपोरेटपरस्त और मजदूर विरोधी नीतियों को पलट देने के लिए अपनी स्वतंत्र राजनैतिक ताकत का निर्माण करना होगा. ठेका मजदूर यूनियन का सम्मेलन इस दिशा में काम करेगा ऐसी हम उम्मीद करते हैं. यह बातें सोनभद्र के सब आर्डिनेट क्लब पिपरी में आयोजित ठेका मजदूर यूनियन के बीसवें सम्मेलन में श्रम बंधु व यूपी वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहीं.
सम्मेलन में प्रस्ताव लेकर वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केंद्र सोनभद्र में ठेका मजदूरों की हालत बेहद खराब है. एक ही स्थान पर स्थायी कामों में कानून के विरुद्ध उनसे पूरी जिंदगी काम कराया जाता है. 2019 से मजदूरों के वेज रिवीजन के ना होने के कारण उन्हें बहुत कम मजदूरी पर काम करना पड़ता है. उसमें भी महिला मजदूरों से तो महज 200 रुपये में काम कराया जाता है. अनपरा और ओबरा जैसी परियोजनाओं में मजदूरी का बकाया रहता है. उद्योगों में सुरक्षा उपकरण न देने के कारण आए दिन मजदूरों की दुर्घटनाओं में मौतें होती हैं. मजदूरों को रोजगार कार्ड, हाजिरी कार्ड, वेतन पर्ची, ईएसआई, ग्रेच्युटी, बोनस जैसे लाभ भी बहुत सारे उद्योगों में नहीं दिए जा रहे हैं. ऐसे में मजदूरों को अपना मनोबल गिराने की जगह मजदूर विरोधी कार्रवाइयों पर रोक लगाने के लिए संगठित होना होगा.
सम्मेलन में युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने कहा कि बेरोजगारी की स्थिति बेहद भयावह है. इंजीनियरिंग करके नौजवान ठेका मजदूर के बतौर बेहद कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर हैं. रोजगार के सवाल को मौलिक अधिकार बनाने, खाली पड़े पदों को भरने, बेरोजगारी भत्ता देने और हर मजदूर को न्यूनतम 25000 रुपये वेतन देने की मांग पर पूरे देश में रोजगार अधिकार अभियान चल रहा है. जिसमें ठेका मजदूरों को भी जुड़ना चाहिए.
सम्मेलन में लोकतंत्र पर जारी हमले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए लोकप्रिय भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को पुलिस द्वारा नोटिस देने की कड़ी निंदा की गई और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की गई.
सम्मेलन में कृपाशंकर पनिका को अध्यक्ष और तेजधारी गुप्ता को मंत्री चुना गया. इसके अलावा उपाध्यक्ष पद पर तीरथराज यादव, संयुक्त मंत्री मोहन प्रसाद, प्रचार मंत्री शेख इम्तियाज, कोषाध्यक्ष गोविंद प्रजापति और कार्यालय सचिव अंतराल खरवार और 15 सदस्यीय कार्यकारिणी को चुना गया.
सम्मेलन की अध्यक्षता पिपरी की सभासद मल्लर देवी, तीरथ यादव और तेजधारी गुप्ता के अध्यक्ष मंडल ने की और संचालन कृपाशंकर पनिका ने किया. सम्मेलन को बिजली कर्मचारी संघ पिपरी के अध्यक्ष रवि गुप्ता, पिपरी के पूर्व सभासद कामरेड मारी, रेणुकूट के पूर्व सभासद नौशाद, आदिवासी वनवासी महासभा के इंद्रदेव खरवार, मजदूर किसान मंच के जिला अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोंड, आईपीएफ के तहसील संयोजक शिवप्रसाद गोंड, अनपरा डी के नेता कृष्णा यादव, युवा मंच की जिला अध्यक्ष रूबी सिंह गोंड, सविता गोंड, द्वारिका चंद्रवंशी आदि ने सम्बोधित किया. सम्मेलन में अनपरा ओबरा लैंको, हिंडालको, ग्रासिम केमिकल प्लांट, ग्रासिम सीमेंट, कोयला खनन आदि से मजदूर प्रतिनिधि उपस्थित रहे. सम्मेलन में मांदर कला मंच के कलाकारों और लोक गायक मुनेश्वर पनिका ने अपने जनगीत प्रस्तुत किए गए.
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