15 मार्च. सीएएसआर यानी कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन (राज्य के द्वारा होने वाले उत्पीड़न के विरुद्ध अभियान) के कार्यक्रम की अनुमति न देने के दिल्ली पुलिस के निर्णय को यूथ फॉर स्वराज ने घोर अलोकतांत्रिक करार देते हुए उसकी निन्दा की है. कश्मीर में सरकारी तंत्र द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न और मीडिया ब्लैकआउट के मसले पर सीएएसआर ने एक सभा बुलाई थी, जिसमें डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता, हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से लेकर अनेक पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अकादमिक विद्वानों को भी शामिल होना था. सभा तीस संगठनों के साझा प्रयास से आयोजित की जा रही थी. लेकिन ऐन वक्त पर दिल्ली पुलिस ने “कानून और व्यवस्था” का हवाला देकर इसे होने नहीं दिया.
लगभग एक सप्ताह पहले भी दिल्ली पुलिस ने यही किया था. थाना क्षेत्र भी वही था. पुलिस ने हरकिशन सिंह सुरजीत भवन के प्रबंधकों को नोटिस भेजा और “कानून व व्यवस्था” की दलील देकर “भारत बचाओ : राष्ट्रीय सम्मेलन” का आयोजन रद्द करने को कहा. फिर आयोजकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इजाजत हासिल की. यह दिलचस्प है कि इस बार पुलिस ने आयोजकों को ऐन उसी दिन नोटिस भेजा जिस दिन आयोजन होना था. आयोजन के तय वक्त से महज कुछ घंटे पहले. लिहाजा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा सकी और आयोजन रद्द करना पड़ा. यूथ फॉर स्वराज ने दिल्ली पुलिस के इस रवैये को अलोकतांत्रिक और चिंताजनक बताया है.
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