31 मार्च। देश की राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर स्कीम वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
एटक के आवाह्न पर बीते मंगलवार 28 मार्च को देश भर से पाँच हजार से अधिक योजना कार्यकर्ता–आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन, आशा कार्यकर्ता और ब्लॉक फैसिलिटेटर और महाराष्ट्र के यूएमईडी कार्यकर्ता- रैली में शामिल हुए।
एटक द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक रैली में शामिल हुई महिला कार्यकर्ताओं की मांग है कि उनको सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा और मातृत्व लाभ सहित अन्य सुविधाएं भी दी जाएं।
एटक के सदस्यों का कहना है कि देशभर में आशा कार्यकर्ताओं के सराहनीय काम की वजह से ही भारत की मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर में सुधार हुआ है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मध्याह्न भोजन कार्यकर्ताओं की वजह से स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के आकड़े में भी काफी सुधार हुआ है।
एटक का आरोप
एटक का आरोप है कि इन सभी सफल कार्यों के बाद भी केंद्र सरकार द्वारा आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन, आशा वर्कर्स को पर्याप्त रूप से स्वीकार और सराहा नहीं गया है। भले ही, डब्ल्यूएचओ ने आशा कार्यकर्ताओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स का पुरस्कार प्रदान किया हो।
दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान आशा, आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन वर्कर्स ने बड़े स्तर पर टीकाकरण और अन्य काम किये थे। वहीं वर्कर्स यूनिटी ने अपनी पिछली रिपोर्ट्स में पाया है कि कई राज्यों में महामारी के दौरान आंगनबाड़ी वर्कर्स को उनकी मजदूरी का भी भुगतान नहीं किया गया है।
एटक का कहना है कि सभी स्कीम वर्कर्स “योजना कार्यकर्ता” के रूप में नामित स्कीम के लिए काम करती हैं। उनका कहना है कि देश में कोई भी योजना एक समय सीमा के आधार पर तैयार की जाती है। लेकिन उन योजनाओं में जो भी काम किया जाता है वह आवश्यक, शाश्वत, स्थायी और चिरस्थायी होता है।
मंगलवार को आयोजित रैली में एटक के साथ नेशनल आशा वर्कर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया आंगनवाड़ी वर्कर्स फेडरेशन और ऑल इंडिया मिड-डे मील वर्कर्स फेडरेशन भी शामिल हुईं।
एटक की महासचिव कॉमरेड अमरजीत कौर ने रैली का उदघाटन किया। भाकपा (बिनॉय विश्वम) डीएमके (एम. शनमुगम) जैसे विपक्षी दलों के सांसदों ने रैली को संबोधित किया और अपना समर्थन दिया। कॉमरेड (डॉ.) भालचंद्र कांगो, सीपीआई सचिव, सुकुमार दामले, अध्यक्ष, एम.आर.आंगनवाड़ी-बलवाड़ी कर्मचारी यूनियन ने भी रैली को संबोधित किया।