5 अप्रैल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर आशा-ऊषा कार्यकर्ता आंदोलन की राह पर हैं। तीन हफ्तों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठीं ये आशा कर्मी मानदेय वृद्धि और नियमितीकरण समेत कई माँगों को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं। इसी कड़ी में बीते बुधवार को इन आशा कर्मियों ने प्रदेशव्यापी महारैली का आयोजन किया, जिसमें सरकार के प्रतिनिधियों का घेराव भी शामिल था। विदित हो कि लंबे समय से मध्यप्रदेश में आशा और ऊषा कार्यकर्ता नियमितीकरण और न्यूनतम वेतन की माँग को लेकर संघर्षरत हैं।
आशा कर्मियों ने मीडिया के हवाले से बताया कि कोरोना काल में भी हमने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जानें बचाई हैं। लेकिन तब शाबाशी देने वाली सरकार के पास अब हमारे लिए कुछ नहीं है। सरकार की दिलचस्पी न तो हमें स्थायी श्रमिकों के रूप में मान्यता देने में है और न ही हमें न्यूनतम वेतन देने में है। प्रदर्शनकारियों ने आगे बताया कि साल 2021 में जारी आश्वासन के बावजूद अब तक सरकार ने इस ओर कोई पहल नहीं की है, न ही अब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि या नेता मिलने आया है। चुनावी साल में सरकार महिलाओं के वोट तो हासिल करना चाहती है, लेकिन मेहनतकश महिलाओं को उनकी कमाई नहीं देना चाहती।
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