13 अप्रैल। स्वराज अभियान ने बीते मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तथा अपनी इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुजारिश की, जिसमें केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, कि राज्यों के पास मनरेगा को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष वकील प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई।
स्वराज अभियान ने अपनी याचिका में कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम-2005 के तहत श्रमिकों का समूह वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहा है। उनकी बकाया मजदूरी बढ़ रही है, और अधिकतर राज्यों में ऋण शेष भी बढ़ रहा है। 26 नवंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार, राज्य सरकारें 9,682 करोड़ रुपये की कमी का सामना कर रही हैं, और वर्ष के लिए आवंटित धन का 100 प्रतिशत वर्ष के समापन से पहले ही समाप्त हो गया है। मनरेगा मजदूरी भुगतान पर शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए स्वराज अभियान ने कहा, कि धन की कमी का यह बहाना कानून का घोर उल्लंघन है। याचिका में आगे कहा गया है कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के निर्देश जारी किए जाएं, कि राज्यों के पास अगले एक महीने के लिए कार्यक्रम को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो।