1 मई। हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस (1 मई) के अवसर पर श्रमिकों के अधिकारों, मानवाधिकारों, लोकतंत्र, संविधान और राष्ट्र को बचाने के लिए संयुक्त निर्णायक संघर्ष छेड़ने की अपील की है। उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, कि अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस हर साल 1 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह हमें हमारे पूर्ववर्तियों द्वारा हमारे काम करने और रहने के लिए किए गए महान बलिदानों की याद दिलाता है। भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, इस आबादी का एक बड़ा हिस्सा मेहनतकश वर्ग का है। कोविड महामारी के बाद लाखों श्रमिकों ने अपनी आजीविका खो दी है। सरकार बड़े कॉर्पोरेट घरानों के भारी दबाव में आकर मजदूर विरोधी, किसान विरोधी काम कर रही है।
उन्होंने आगे कहा, कि वर्तमान सरकार हमारी अर्थव्यवस्था के लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों जैसे रेलवे, बंदरगाह और सड़क परिवहन, राजमार्ग, हवाई अड्डे, हवाई मार्ग, बैंक, बीमा, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा में निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। सत्ता में बैठे हुक्मरान अपने कुछ चुने हुए दोस्तों को अधिकतम व्यवसाय दे रहे हैं। नतीजतन, दुनिया में अमीरों की सूची में 609वें नंबर पर काबिज व्यक्ति एकाएक दुनिया का दूसरा सबसे अमीर व्यक्ति बन जाता है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने हाल ही में इस समूह द्वारा की गयी वित्तीय अनियमितताओं का सनसनीखेज खुलासा कर इस समूह को अर्श से फर्श पर पहुँचा दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक, भारत का जीवन बीमा निगम और अन्य बैंकों से बड़ी राशि दांव पर लगी है। इसके बावजूद न तो सरकार और न ही सेबी या आरबीआई ने कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण दिया।
इस मामले पर संसद में विपक्ष को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी गयी। वर्तमान सरकार ने प्रचंड बहुमत के आधार पर विधायिका पर अपना शिकंजा कस लिया है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर भी पूरा नियंत्रण बना लिया है। वर्तमान सरकार ईडी, सीबीआई, आईएनए, आयकर विभाग जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का जमकर दुरुपयोग कर रही है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम(यूएपीए), राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, युवा नेताओं, महिला कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। देश की जीडीपी नीचे जा रही है, विदेशी मुद्रा भंडार सिकुड़ रहा है। निर्यात के बजाय आयात बढ़ रहा है।
बेरोजगारी दर 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलपीजी जैसी आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतें, दैनिक उपभोग की अन्य वस्तुओं की कीमतों ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि मजदूर वर्ग सबसे बुरी तरह प्रभावित है। हमें इस मई दिवस पर एकजुट रहने का संकल्प लेना चाहिए। श्रमिकों के अधिकारों, मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत से सांप्रदायिक ताकतों से लड़ना चाहिए। लोकतंत्र, संसदीय मूल्यों, न्यायपालिका, संविधान और राष्ट्र को बचाने के लिए मजदूर वर्ग की एकजुटता समय की माँग है, भाईचारे पर आधारित हमारी प्राचीन गंगा-जमुनी तहजीब को जीवंत रखने का समय आ गया है।पूरा विश्व हमारा परिवार है, कोई हमें बांटने की जुर्रत नहीं कर सकता है।
प्रस्तुति : अंकित कुमार निगम