16 मई । रिहाई मंच ने वाराणसी के राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा को एटीएस द्वारा उठाए जाने, मानवाधिकार कार्यकर्ता नवशरन को मनी लांड्रिंग के संबंध में सम्मन भेजने, किसान नेता वीरेंद्र यादव पर मुकदमा दर्ज करने को सरकार की दमनात्मक कार्रवाई करार दिया है।
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि वाराणसी के कम्युनिस्ट फ्रंट के नेता मनीष शर्मा को जिस तरह से दिनदहाड़े सरेराह एटीएस द्वारा उठा लिया जाता है और देर रात उनकी पत्नी को सूचित किया जाता है, यह कार्रवाई बताती है कि सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे आंदोलनों की आवाजों का दमन करना चाहती है। पिछले दिनों रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब को एटीएस ने ऐसे ही उठाया था। राजीव ने कहा कि 24 दिसंबर 2022 को वाराणसी से आजमगढ़ जब वह आ रहे थे तो रास्ते से कथित एसटीएफ क्राइम ब्रांच ने उन्हें उठाया था तो किसान आंदोलन और अन्य लोकतांत्रिक आंदोलनों के बारे में पूछताछ कर रहे थे। इसके बाद 2 फरवरी को जब आजमगढ़ जिलाधिकारी कार्यालय से वार्ता कर खिरिया बाग लौट रहे थे तो अपहरण की फिर से कोशिश हुई पर आंदोलन की महिलाओं के आ जाने की वजह से अपहरणकर्ता भाग गए। पुलिस के स्पेशल दस्तों द्वारा ये गैरकानूनी कार्रवाइयां दबाव बनाने की कोशिश होती हैं कि आप आंदोलन से हट जाएं।
मनीष शर्मा वाराणसी में गरीब, मजलूमों की झुग्गी-झोपड़ियों को अतिक्रमण की कार्रवाई से बचाने के लिए आवाज उठाते रहे हैं। बुनकर, नट, मुसहर समाज की बेहतरी के लिए भी कार्य करते हैं। दिल्ली की मानवाधिकार कार्यकर्ता नवशरन को मनी लांड्रिंग के मामले में सम्मन भेजना मानवाधिकारों की आवाज को दबाना है। नवशरन किसान आंदोलन से लेकर लोकतांत्रिक आंदोलनों में सालों से सक्रिय हैं। पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव जो कि आजमगढ़ के अंडीका बाग और खिरिया बाग में चल रहे किसान मजदूर आंदोलन में सक्रिय हैं उनके समेत ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई बताती है कि मुकदमे के बल पर किसानों मजदूरों की आवाजों को सरकार दबाना चाहती है। खिरिया बाग आंदोलन के दौरान भी वीरेन्द्र यादव समेत मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय और आंदोलनकारी महिलाओं पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा से पूछताछ हो या फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता नवशरन को मनी लांड्रिंग केस के सम्मन या फिर किसान नेता वीरेन्द्र यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई, सरकार द्वारा लोकतांत्रिक आवाजों खासतौर से किसान आंदोलन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करके डर का माहौल बनाने की साजिश है, जिससे वे किसानों मजदूरों के सवाल नहीं उठा सकें।
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