गांधी विद्या संस्थान को मुक्त कर सर्व सेवा संघ को सौंपने की मॉंग हुई तेज

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वाराणसी स्थित गांधी विद्या संस्थान

16 मई। वाराणसी स्थित गांधी विद्या संस्थान पर प्रशासन के अवैध रूप से कब्जा करने तथा वहाँ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की एक क्षेत्रीय शाखा अवैध रूप से खोलने की साजिश का समाचार समता मार्ग पर मंगलवार को प्रकाशित हुआ था। और यह तब हो रहा है जब मामला उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन है। इस घटना पर देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। गांधी और जेपी को मानने वाले अनेक बौद्धिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सामूहिक प्रतिवाद के तौर एक बयान जारी किया है, जो यहाँ अविकल दिया जा रहा है –

वाराणसी में सर्व सेवा संघ का परिसर ओल्ड जीटी रोड और वरुणा नदी के बीच स्थित है। इसी परिसर के एक हिस्से में गांधी विद्या संस्थान है, जो विवाद की वजह से बंद है। विवाद के निपटारे के लिए उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में मामला विचाराधीन है।

जब से काशी स्टेशन को मल्टीमॉडल स्टेशन और खिड़किया घाट को नमो घाट में तब्दील किया गया है तभी से सर्व सेवा संघ के पूरे परिसर पर प्रशासन की नजर है। दिसंबर 2020 में प्रशासन ने परिसर के एक हिस्से पर जबरन अपना कब्जा जमा लिया और काशी कॉरिडोर के वर्कशॉप के लिए ठेकेदार को आवंटित कर दिया। यह कब्जा अभी भी बना हुआ है। पिछले कई महीनों से प्रशासन के विभिन्न महकमे के लोग इस परिसर के इर्द-गिर्द सर्वे करते रहे हैं। वे किसी न किसी नुक्स का सहारा लेकर इस कैंपस में घुसना चाह रहे थे, पर ऐसा कोई अवसर नहीं मिला। तब कमिश्नर-वाराणसी ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय हेतु गांधी विद्या संस्थान के भवन को उपलब्ध कराना चाहा। कमिश्नर-वाराणसी अभी गांधी विद्या संस्थान की संचालन समिति के अध्यक्ष हैं। इस संबंध में कमिश्नर ने एक बैठक भी बुलाई थी जिसमें सर्व सेवा संघ के प्रतिनिधि श्री रामधीरज ने उपस्थित होकर लिखित रूप से अपना प्रतिवाद दर्ज कराया। इस प्रतिवाद पत्र में गांधी विद्या संस्थान का मसला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने की जानकारी दी गई तथा यह भी बताया गया कि लीज करार के अनुसार लीज अवधि नवंबर 2023 में समाप्त हो रही है। इस करारनामा में स्पष्ट रूप से यह लिखा हुआ है कि गांधी विद्या संस्थान के बंद होने या अन्यत्र चले जाने पर जमीन सर्व सेवा संघ की हो जाएगी और सर्व सेवा संघ इस जमीन पर स्थित भवनों, जिनका निर्माण उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि के द्वारा किया गया है, का उपयोग स्मारक निधि की सहमति से कर सकेगा।

15 मई 2023 को अपराह्न 3.45 बजे राजघाट, सर्व सेवा संघ परिसर स्थित गांधी विद्या संस्थान की लाइब्रेरी का चार्ज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को कमिश्नर ने मजिस्ट्रेट और काफी संख्या में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में दिया। 16 मई को भारी पुलिस बल के साथ आकर प्रशासन ने गांधी विद्या संस्थान के अन्य कक्षों का भी ताला तोड़कर अपने नियंत्रण में ले लिया है। गौरतलब है कि गांधी विद्या संस्थान का मामला उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में लंबित है। इसलिए कमिश्नर का गांधी विद्या संस्थान को किसी दूसरी संस्था को सौंपना विधि-विरुद्ध है। उल्लेखनीय है कि संस्थान के बाइलाज के अनुसार सभी चल-अचल संपत्तियां सर्व सेवा संघ को पुन: वापस होनी हैं। इस संबंध में सर्व सेवा संघ ने उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में वाद दायर किया हुआ है, जो विचाराधीन है।

ज्ञातव्य है कि संस्थान को लेकर 2007 में अपर जिला जज दशम, वाराणसी के निर्देश के अनुसार कमिश्नर वाराणसी की अध्यक्षता में एक संचालन कमेटी बनायी गयी थी। इस कमेटी को संस्थान का संचालन करना था, लेकिन कमेटी द्वारा आज तक न तो कोई बैठक बुलाई गयी और न ही इस संदर्भ में सर्व सेवा संघ को कोई सूचना दी गयी। 16 मई को अचानक ही कमिश्नर ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को पुस्तकालय सौंपने के लिए आदेश निर्गत कर दिया, जो अन्यायपूर्ण एवं विधि विरुद्ध है। यह भी ध्यातव्य है कि यह भूमि, भवन व पुस्तकें सर्व सर्व संघ की हैं। 1962 में यह संस्थान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के मार्गदर्शन में स्थापित किया गया था।

गांधी विद्या संस्थान की स्थापना 1962 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा की गयी थी। इस संस्थान का उद्देश्य गांधी विचार के आधार पर चल रहे कार्यक्रमों का अध्ययन करना और उन्हें समाज विज्ञान से जोड़ना था। लेकिन कमिश्नर द्वारा अचानक इस संस्थान को कब्जा कर एक सरकारी संस्थान को देना अनुचित, अन्यायपूर्ण और अवैधानिक है।

हम सभी प्रशासन के इस कार्यवाही का प्रतिवाद करते हैं और गाँधी विद्या संस्थान को मुक्त कर सर्व सेवा संघ को सौंपने की माँग करते हैं।

# आनंद कुमार, अध्यक्ष, सोसायटी फार कम्युनल हारमनी, दिल्ली
# डॉ सुनीलम, समाजवादी समागम , मध्यप्रदेश
# सुरेश खैरनार, राष्ट्रीय सह संयोजक, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, महाराष्ट्र
# मंथन, झारखंड
# रामशरण, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, बिहार
# राजीव, उ.प्र.
# सुशील कुमार, संयोजक, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, बिहार
# मणिमाला, दिल्ली
# अशोक विश्वराय, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, झारखंड
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# ज्ञानेन्द्र कुमार, राष्ट्रीय संयोजक, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, महाराष्ट्र
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# अम्बिका यादव, झारखंड किसान परिषद
# जागृति राही, राष्ट्रीय कोर समिति, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, उ.प्र.
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# अरविंद अंजुम, सर्व सेवा संघ, झारखंड
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# दिनेश प्रियमन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, उ.प्र.
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# सतीश कुन्दन, महासचिव, आल इंडिया थियेटर काउंसिल, गिरिडीह, झारखंड
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