चाईबासा में हुआ लोकतंत्र बचाओ समागम, प्रतिनिधियों ने किया भाजपा को हराने का आह्वान

0

4 जून। रविवार को दिव्य भारती, चाईबासा (झारखंड) में 2024 की राजनैतिक चुनौती व रणनीति पर एक-दिवसीय लोकतंत्र बचाओ समागम का आयोजन किया गया। इसमें कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों से 150 सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता व जन संगठनों के प्रतिनिधि शरीक हुए। समागम का आयोजन लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, झारखंड जनाधिकार महासभा, झारखंड किसान परिषद, चांडिल, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम व अन्य कई संगठनों द्वारा किया गया।

समागम के उदघाटन सत्र को जानी-मानी पत्रकार व लेखिका भाषा सिंह, झारखंड के आंदोलनकारी कुमार चंद्र मार्डी और सामाजिक कार्यकर्ता जयकिशन गोदसोरा ने संबोधित किया। उदघाटन सत्र में इस पहल से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मंथन ने समागम के आधार पत्र (आधार पत्र संलग्न) को रखते हुए कहा कि मोदी सरकार व भाजपा देश के लिए कितनी खतरनाक है, यह अब किसी छुपा नहीं है। इसे सत्ता से हटाने के लिए लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के तहत पूरे देश में आंदोलन शुरू हुआ है। झारखंड में अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा इस पहल का समन्वयन किया जा रहा है। रांची में राज्य स्तरीय समागम के बाद अब क्षेत्रीय चर्चाओं का आयोजन हो रहा है।

भाषा सिंह ने कहा कि देश की परिकल्पना को धर्म आधारित बनाया जा रहा है। हिन्दू संतों-पुरोहितों के मंत्रोच्चार के साथ, प्रधानमंत्री द्वारा हिन्दू पूजा-पाठ कर, राजतंत्र के एक प्रतीक–सेंगोल (राजदंड)–को नए संसद भवन में स्थापित किया गया। यह देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने और ब्राह्मणवाद को स्थापित करने का एलान है। ऐसा राष्ट्र जहाँ हिन्दू, खासकर ब्राह्मण समेत सवर्ण, प्रथम दर्जे के नागरिक होंगे और मुसलमान समेत अन्य अल्पसंख्यक धर्म व समुदायों जैसे आदिवासी व दलित दूसरे दर्जे के। ऐसा राष्ट्र संविधान से नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के नियमों से चलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि संसद भवन के उदघाटन में एक भी महिला का न होना और केवल पुरुष पुरोहितों का होना दर्शाता है कि हिंदू राष्ट्र में महिलाओं की क्या स्थिति होगी। यह महिला पहलवानों के उत्पीड़न से भी झलकता है।महिला पहलवानों ने जिस भाजपा सांसद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और जिसकी गिरफ्तारी के लिए वे आंदोलनरत हैं, जिसे पॉक्सो के तहत तत्काल जेल में होना चाहिए था वह संसद भवन के उदघाटन समारोह में ससम्मान शामिल था। लेकिन दूसरी तरफ यह बात हिम्मत देती है कि 2019 के बाद लगातार हो रहे शोषण और लोकतंत्र पर हमले के विरुद्ध हर साल कोई न कोई जन आंदोलन हुआ है। जैसे CAA-NRC विरोध, किसान आंदोलन, महिला पहलवान आंदोलन आदि।

वक्ताओं ने कहा कि कोल्हान समेत पूरे झारखंड में भाजपा आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था, संस्कृति व आदिवासियत को हिन्दुत्व में विलीन करने पर उतारू है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा व उसके इशारों पर विभिन्न सामाजिक-धार्मिक-राजनैतिक संगठनों द्वारा द्वारा झारखंडी जनता के बीच फूट डाली जा रही है–आदिवासी-कुड़मियों के बीच, ईसाई-सरना आदिवासियों के बीच, हिन्दू-मुसलमान के बीच। कोल्हान के गाँव-गाँव में लोगों को धर्म के नाम पर विभाजित किया जा रहा है।

झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के ज़मीन, जंगल और खनिज को लूटने के लिए इनसे जुड़े कानूनों को लगातार कमजोर किया जा रहा है और इन्हें निजी कंपनियों के हाथों बेच दिया जा रहा है। कोल्हान में तो आदिवासी-मूलवासियों के संसाधनों को लूटने के लिए क्षेत्र को सुरक्षा बलों की छावनी में बदल दिया गया है। ग्राम सभा की सहमति के बगैर कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, आदिवासियों पर फर्जी मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

झारखंड आज भी आंतरिक उपनिवेश सा बना हुआ है। झारखंड अकेला प्रांत है जहां तीसरी चौथी श्रेणी की नौकरियों से भी आदिवासी-मूलवासी वंचित हैं। आज तक स्थानीयता के आधार पर नियोजन की जरूरी और उचित प्रक्रिया भाजपा जैसे बाहरी वर्चस्व वाले दलों की राजनीतिक और प्रशासनिक कूटनीति के कारण नहीं बन पाई है। केंद्र सरकार खाद्य, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसर को कम कर रही है। एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है, दूसरी तराफ मोदी सरकार अडानी व चंद कॉर्पोरेट घरानों को फाएदा पहुँचाने और मेहनतकश वर्ग के जनाधिकारों को लगातार कमजोर करने में लगी है। कई वक्ताओं ने कहा कि महंगाई के कारण अब गैस सिलिंडर में गैस भरवाना भी संभव नहीं है।

समागम में वक्ताओं ने इस क्षेत्र की राजनैतिक पृष्ठभूमि पर व्यापक चर्चा की। समागम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह आह्वान किया कि लोकतंत्र को बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में कोल्हान समेत झारखंड की हर सीट से भाजपा को हराना है। गैरभाजपा दलों का आह्वान किया गया कि वे सुनिश्चित करें कि विपक्ष के वोटों का बिखराव नहीं हो और उनकी ओर से साझा उम्मीदवार दिया जाए। यह भी आह्वान किया गया कि झारखंडी समाज को तोड़ने वाली भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति के विरुद्ध, झारखंड को जोड़ने वाला और जन मुदों पर आधारित चुनावी माहौल बनाना होगा। जन मुद्दों पर आदिवासी-दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को झारखंडी सोच के छतरी तले संगठित करना होगा। साथ ही, गठबंधन को इस दिशा में चलने का दबाव देना होगा।

समागम में अनंत कुमार हेंब्रम, अजीत कांडेयांग, बामिया बारी, दसकंद कुदादा, दिनेश प्रसाद कुशवाहा, देवेंद्र नाथ चंपिया, गुही राम मुंडा, जयकिशन गोदसोरा, रामकविंद्र, कुमार चंद्र मार्डी, कृष्णा लोहार, मंथन, सिराज दत्ता, मानिक सरदार, मानसिंह मुंडा, मिली बिरुवा, मो युनुस, रीना बारी, रामचंद्र मांझी, रमेश जेराई, रेयांस समाद, शत्रुघ्न कुंकल, सुनीता जारिका समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी। संचालन अंबिका यादव, बेला जेराई, हेलेन सुंडी, जयंती मेलगंडी, नारायण कांडेयांग व सुनील पूर्ति ने किया।

– अधिक जानकारी के लिए अंबिका यादव (7464045332), मंथन (9430305551), रेयांस समाद (8541897676) या रमेश जेराई (9162168149) से संपर्क करें।

Leave a Comment