चार साल से भावांतर राशि के इंतजार में हैं मप्र के हजारों किसान

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23 जून। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने को किसान हितैषी बताते रहे हैं लेकिन पिछले 4 साल से मध्यप्रदेश के किसान उनके वादे की बाट जो रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसानों को यदि मंडी में फसल का दाम नहीं मिलता है तो सरकार किसानों को भावांतर राशि का भुगतान करेगी।

संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री और बबलू जाधव ने बताया कि 4 साल पहले प्याज जब ₹2 किलो बिका तो शिवराज सिंह ने कहा था प्याज पर ₹6 प्रति किलो के हिसाब से सरकार भावांतर देगी। इसी के साथ सोयाबीन पर 2018-19 में ₹500 प्रति क्विंटल भावांतर देने तथा 2019- 20 में गेहूँ पर ₹160 प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की गई थी। मुख्यमंत्री के इस वादे पर किसानों ने अपनी फसल ओने पौने दामों पर बेच दी, उन्हें उम्मीद थी कि सरकार अपने वादे के मुताबिक भावांतर और बोनस की राशि उनके खातों में ट्रांसफर करेगी, लेकिन आज तक सरकार की ओर से किसानों के खातों में एक पैसा भी नहीं डाला गया है। ठगाए किसान अब मुख्यमंत्री को अपना वादा पूरा करने की याद दिला रहे हैं।

रामस्वरूप मंत्री और बबलू जाधव ने बताया कि इंदौर जिले में ही प्याज भावांतर की राशि 7000 किसानों को लेना है जो करीब 30 करोड़ है। इसी तरह से सोयाबीन की उपज का भावांतर बकाया 20 करोड़ है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में वे किसानों का बकाया भुगतान तत्काल कराएं और किसान हितैषी होने का परिचय दें ।

संयुक्त किसान मोर्चा मुख्यमंत्री के इंदौर आगमन पर उनसे मुलाकात करेगा और भावांतर बोनस सहित मंडी में बेचे गए माल के भुगतान को लेकर चर्चा करेगा।

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