गांधी विद्या संस्थान पर कब्जे के बाद अब सर्व सेवा संघ पर चलेगा बुलडोजर

0

26 जून। गांधी विद्या संस्थान पर अवैध कब्जे के बाद अब वाराणसी में सर्व सेवा संघ के वजूद पर ही तलवार लटकने लगी है। रेलवे ने सर्व सेवा संघ के परिसर में स्थित सभी भवनों पर नोटिस चिपका दिया है कि इन्हें 30 जून को सुबह 9 बजे बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया जाएगा। रेलवे ने चिपकाए गए अपने नोटिस में सर्व सेवा संघ को अतिक्रमणकारी कहा है, यानी रेलवे के मुताबिक, सर्व सेवा संघ ने रेलवे की जमीन पर गैरकानूनी कब्जा कर रखा है और इस जमीन पर सर्व सेवा संघ के कराए गए सभी निर्माण अवैध हैं। इसी परिसर में गांधी विचारों सहित सर्वोदय साहित्य का प्रकाशन, सर्व सेवा संघ प्रकाशन भी है।

रेलवे का उपर्युक्त नोटिस एक स्तब्ध कर देनेवाली घटना है। क्या संयोग है कि रेलवे ने सर्व सेवा संघ के भवनों को जमींदोज करने का निर्णय तब लिया जब देश 48 साल पहले की इमरजेंसी को याद कर रहा था। आज क्या इमरजेंसी से कम बुरे हालात हैं? गांधी विद्या संस्थान की स्थापना जेपी की पहल पर हुई थी। फिर, अधिकतर सर्वोदयी यानी सर्व सेवा संघ से जुड़े लोग जेपी आंदोलन में शामिल थे। लेकिन इमरजेंसी के दौरान न तो गांधी विद्या संस्थान सरकारी कब्जे में गया न सर्व सेवा संघ को रेलवे ने अतिक्रमणकारी बताया। तीखे राजनीतिक विरोध के बावजूद इंदिरा गांधी की सरकार इस हद तक नहीं गयी। आखिर यह सब अब क्यों हो रहा है?

इसका एक प्रमुख कारण यही दीखता है कि संघ-भाजपा गांधी के स्मृति स्थलों और गांधीमार्गी गतिविधियों के केन्द्रों को नष्ट भ्रष्ट करना चाहते हैं। कहीं इसका तरीका संस्था की जमीन व मकान हड़पना है, कहीं कानूनी विवाद खड़ा करना और झगड़े में उलझाना और जहाँ सीधे सरकार का दखल संभव हो, वहाँ संस्था का स्वरूप और दिशा ही बदल देना। यह राष्ट्रपिता के रूप में गांधी की हैसियत पर लगातार हो रहा हमला है। जमीन जायदाद का लोभ भी होगा। जब जब भाजपा सत्ता में रही है, उसके ढेर सारे लाभों में से आरएसएस ने एक प्रमुख लाभ यह भी उठाया है कि अपनी बेशुमार संपत्ति में और इजाफा कर लिया।

सर्व सेवा संघ के अतिक्रमणकारी होने की बात किसके गले उतरेगी? रेलवे से जमीन खरीदे जाने के कागजात हैं। सर्व सेवा संघ को जमीन उपलब्ध कराने के सौजन्य में लालबहादुर शास्त्री, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज जैसे अनेक महापुरुष शामिल थे। रेलवे से पूछा जाना चाहिए कि क्या इन लोगों ने फर्जीवाड़ा किया था? रेलवे का आरोप है कि सर्व सेवा संघ ने कूटरचित दस्तावेजों के जरिये जमीन अपने नाम करवा ली। लेकिन जमीन तो 1960, 1961 में सर्व सेवा संघ के नाम हुई थी, इतने दशक रेलवे सोता रहा, और अब जाकर अचानक उसकी नींद खुली है? जमीन के लिए भुगतान किए जाने के कागजात हैं। क्या कारण है कि गांधी विद्या संस्थान पर जिला प्रशासन के कब्जे के बाद ही रेलवे सर्व सेवा संघ को बेदखल करने के लिए सक्रिय हुआ!

जाहिर है, रेलवे और जिला प्रशासन तो मोहरे हैं। खेल भाजपा-आरएसएस का है जो गांधीवादी संस्थाओं को मटियामेट करना और उनकी संपत्ति हड़पना चाहते हैं। बेशक इस क्रम में उन्हें बदनाम भी किया जाएगा और उनके बारे में तरह तरह की खबरें और कहानियाँ गढ़ी जाएंगी? आश्चर्य नहीं होगा अगर सेवाग्राम से लेकर विभिन्न राज्यों में रचनात्मक कामों में लगी छोटी छोटी गांधीमार्गी संस्थाओं को भी किसी न किसी कुचक्र में फॅंसाकर उन फंदा डाला जाए।

सर्वोदय के साथियों ने 30 जून को सुबह वाराणसी में राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचने का आह्वान किया है।

– राजेन्द्र राजन

Leave a Comment