5 जुलाई। मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। गौरतलब है कि हिंसा के चलते किसान अपने खेतों में जाने में असमर्थ हैं, और यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो इस पूर्वोत्तर राज्य में आगे चलकर लोगों को दो जून रोटी मिलना मुश्किल हो सकता है।
कृषि विभाग के निदेशक एन गोजेंड्रो ने पीटीआई के हवाले से बताया कि किसान कम से कम 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि पर खेती करने में असमर्थ थे, जिससे 28 जून तक 15,437.23 मीट्रिक टन का नुकसान हुआ। गोजेंड्रो ने आगे कहा, कि दंगों के कारण किसान खेती करने से डर रहे हैं। अगर किसान इस मानसून सीजन में धान की खेती नहीं कर पाते हैं, तो जुलाई के अंत तक नुकसान और बढ़ जाएगा।
वहीं राज्य के कृषि अधिकारियों के मुताबिक, किसानों को चिंता है कि अगर इस महीने के अंत तक सभी क्षेत्रों में खेती पूरे जोरों पर नहीं की गई, तो स्थानीय रूप से उगाए गए ‘मैतेई चावल’ की कमी हो सकती है, जिससे इसकी अगले साल कीमतें बढ़ सकती हैं।
उन्होंने आगे बताया कि जहाँ कुछ किसान बिना डरे इंफाल के बाहरी इलाकों में अपने खेतों की देखभाल कर रहे हैं, वहीं कई लोग अपनी जान के डर से पीक सीजन में खेती करने से बच रहे हैं। वहीं इस मसले पर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मीडिया के हवाले से दावा किया कि किसानों को खेती के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में राज्य के 2,000 बलों को तैनात किया गया है।
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