हनुमान पुराण – 3

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Hanuman

— विमल कुमार —

राम – पवनसुत हनुमान ! तुम कहां जा रहे हो?
हनुमान – हे! दशरथपुत्र ! मैं तो मणिपुर जा रहा हूं।
राम – मणिपुर की यात्रा पर जा रहे हो? आजकल तो हर कोई पहाड़ों पर जा रहा है। छुट्टियां मना रहा है। क्या तुम भी गर्मी में घूमने जा रहे हो।
हनुमान – नहीं, महाराज! आपको मालूम नहीं कि मणिपुर जल रहा है इसलिए मैं वहां जा रहा हूं।
राम – लेकिन हनुमान एक जलते हुए राज्य में क्यों जा रहे हो? तुमको तो किसी ऐसे राज्य में जाना चाहिए जहां का मौसम सुहावना हो।
हनुमान – हे! रघुनंदन! मैं तो मणिपुर इसलिए जा रहा हूं क्योंकि हमारे साहब वहां जा ही नहीं रहे हैं। अब तक न जाने कितने लोगों ने अपील की कि भाई आप एक बार वहां जाइए तो सही। देख लीजिए वहां के हालात कैसे हैं? लेकिन वे जा नहीं रहे। फ्रांस, अमरीका, गोरखपुर जा रहे पर मणिपुर नहीं।
राम – लेकिन हनुमान तुम वहां जाओगे कैसे? पुलिस तो तुम्हें गिरफ्तार कर लेगी। पिछले दिनों राहुल गांधी को वहां प्रशासन ने जाने नहीं दिया ।
हनुमान – घबराते क्यों हैं प्रभु! मैं तो उड़कर चला जाऊंगा जैसे मैंने लंका में जाने के लिए समुद्र को उड़कर लांघ लिया था। ठीक उसी तरह मैं मणिपुर में चला जाऊंगा।
राम – लेकिन हनुमान यह आग किसने लगाई कि मणिपुर जल रहा है। जरा असगर वजाहत से पूछो, उनकी किताब है- यह आग किसने लगाई।
हनुमान – वे तो कह रहे हैं मैं नहीं जानता यह आग किसने लगाई।
राम – तो फिर कहीं तुम्हारी करतूत तो नहीं? तुमने लंका में आग लगाई थी कहीं मणिपुर में भी तुमने आग तो नहीं लगा दी।
हनुमान – अरे !नहीं !! महाराज हम तो आग बुझाने जा रहे हैं। हमें तो वहां का दुख दर्द देखा नहीं जा रहा है। रोज ऐसी ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें पढ़कर सुनकर दिल बैठा जा रहा है। दिल वाकई दहल गया है।
राम – हनुमान क्या बताएं स्वर्ग में तो कोई अखबार आता ही नहीं और यहां नेट कनेक्शन नहीं है कि मैं यूट्यूब पर कुछ खबरें देख नहीं पाता हूँ।
हनुमान – मैंने सोचा है कि मैं मणिपुर जाकर वहां अपनी आंखों से हाल देख लूंगा और आपको आंखोंदेखा हाल सुनाऊंगा। तब आपको पता चलेगा कि मणिपुर कैसे जल रहा है।
राम – लेकिन हनुमान सवाल यह है कि मणिपुर में अगर तुमने आग नहीं लगाई तो आखिर किसने लगाई।
हनुमान – गोदी चैनलवाले तो कह रहे हैं – यह आग नेहरू जी ने लगाई है।
राम – हनुमान, नेहरू जी का मणिपुर से क्या लेना देना?उनके जमाने में तो मणिपुर था भी नहीं।
हनुमान – अगर नेहरू जी का कश्मीर से लेना-देना हो सकता है तो मणिपुर से क्यों नहीं। मुझे भी लगता है कि आग नेहरू जी ने लगाई है और इसलिए साहब वहां जा नहीं रहे हैं। वे तो सोच रहे हैं नेहरू जी द्वारा लगाई गई आग को और फैलाया जाए ताकि देश ही जलने लगे और 2024 के चुनाव के समय साहब देश भर में घूम-घूम कर कहने लगें, देखा नहीं, नेहरू जी ने कैसे इस देश में आग लगा दी है।
राम – हनुमान तुम भी कैसी बहकी बहकी बातें करते हो। नेहरू जी को खामखाह बदनाम करते हो। अगर तुम मणिपुर जा रहे हो तो पता लगाओ कि यह आग कैसे लगी है। पता लगते ही फायर ब्रिगेड को बुलाओ।
हनुमान – लेकिन महाराज! यह आग फायर ब्रिगेड से बुझने वाली नहीं है। यह कोई जंगल की आग नहीं है बल्कि यह तो भारतीय राजनीति की आग है। यह तो हुकूमत की आग है। यह तो चुनावी आग है। इसे तो तभी बुझाया जा सकता है जब आपको चुनाव में जीत हासिल हो। इस बार अगर भाजपा नहीं जीतती तो वह आग से और खेलती रहेगी और फिर पूरे देश में आग लगाती रहेगी।
राम – यह तो बड़ी गम्भीर बात तुम बता रहे हो। मैं तो इसे जंगल की आग समझ रहा था। यही सोच रहा था – फायर ब्रिगेड वाले इसे बुझा देंगे।
लेकिन यह तो बड़ा ही संगीन मामला है। अच्छा सुनो! अगर तुम जा रहे हो तो मेरी शुभकामनाएं। अपना ख्याल रखना.. कहीं वहां भाजपा वाले लोग तुम्हारी पूंछ में आग न लगा दें, इस बात का जरूर ख्याल रखना। तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो!

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