मधु जी के नाम पैंतालीस साल पहले का एक पत्र

0
मधु लिमये (1मई 1922 - 8 जनवरी 1995)
मधु लिमये (1मई 1922 - 8 जनवरी 1995)

(दिनांक 29 जनवरी1978को, जब मेरे द्वारा बालाघाट जिले में छेड़े गए एक किसान आंदोलन के चलते, जब मैं तत्कालीन जनता पार्टी शासन की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाकर, बालाघाट जेल में बंद था, मैंने मेरे प्रेरणास्रोत व आपातकाल के काले दिनों में करीब 14 महीनों तक मेरे जेलसाथी रहे महान समाजवादी नेता, चिंतक, लेखक, सांसद और तत्कालीन सत्तारूढ़ जनता पार्टी के महामंत्री मधु लिमये को एक पत्र लिखा था जिसकी कार्बन कॉपी मेरे संग्रहित दस्तावेजों में मुझे प्राप्त हुई है जिसे पढ़कर मुझे लग रहा है कि उस पत्र का पूरा का पूरा मजमून, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में, 45 सालों बाद, आज भी प्रासंगिक है। इसीलिए उसे मैं शेयर कर रहा हूँ। – विनोद कोचर)

मधु जी के नाम विनोद कोचर का पत्र
मधु जी के नाम विनोद कोचर का पत्र

आदरणीय मधु जी,
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आर्थिक व राजनीतिक शक्तियों के बंटवारे को लेकर श्री ज्योति बसु के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का रवैया क्या डॉ लोहिया की चौखम्भा राज की कल्पना से मेल खाता है? क्या चौखम्भा राज की कल्पना माकपा और केंद्र सरकार के बीच इस विषय पर पनप रहे मतभेद की खाई को पाटने की ताकत नहीं रखती? अगर हां, तो इतने गंभीर और देश की राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की ताकत रखने वाले इस विषय पर आप जैसे नेता बहस क्यों नहीं छेड़ रहे हैं?

मन और दिमाग की इसी तड़प ने मुझे, पत्र के साथ नत्थी लेख लिखने के लिए मजबूर किया है। ‘रायपुर नवभारत’ में छपे इस लेख की कतरन इस पत्र के साथ भेज रहा हूँ।

डॉ लोहिया के सपनों का हिंदुस्तान अगर आप और हम नहीं बना सके, तो मुझे डर है कि कहीं डॉ हेडगेवारके सपनों का हिंदुस्तान (डॉ हेडगेवार के सपनों का हिंदुस्तान कहना गलत होगा।कहना चाहिए देवरस-मुळे-स्वामी के सपनों का हिंदुस्तान) न बन जाए!

मधु जी, सत्ता के झूले पर बैठे लोहियावादियों को झपकी लग जाए, इस बात पर यकीन नहीं होता लेकिन लोहिया विचार मंच के बरगढ़ में हुए सम्मेलन में, श्रीमती इंदुमति केलकर ने जनता पार्टी में शामिल लोहियावादियों को फटकारते हुए, जनता पार्टी के कार्यकलापों पर चुप्पी साधे रहने के लिए उनकी आलोचना की है।

जाहिर है कि आलोचना का ये तीर मुख्य रूप से आप पर ही चलाया गया है।

लोहिया की खातिर, कुछ सोचिए, कृपया!
आपका
विनोद कोचर

विनोद कोचर, 45 साल पहले
विनोद कोचर, 45 साल पहले

(45 साल बाद इस चेतावनी को, मोहन भागवत एवं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, लगभग साकार होता देखकर, दुष्यंत का ये शेर याद आ रहा है कि –

हम क्या बोलें? इस आंधी में कई घरौंदे टूट गए
इन असफल निर्मितियों के शव कल पहचाने जाएंगे!)


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment