9 अगस्त। हर साल की तरह इस बार भी मुंबई में अगस्त क्रांति की याद में जुलूस निकलना था। इसे आयोजकों ने शांति मार्च का नाम दिया था और अंग्रेजो भारत छोड़ो की तर्ज पर इसका नारा था – नफरतों भारत छोड़ो, मोहब्बतों से दिल को जोड़ो। दरअसल नफरत छोड़ो भारत जोड़ो अभियान पिछले साल ही अगस्त क्रांति दिवस पर मुंबई से शुरू हो गया था और इसी नारे के साथ तब हर साल की तरह मुंबई में गिरगांव चौपाटी से लेकर अगस्त क्रांति मैदान तक जुलूस निकला था। लेकिन लगता है महाराष्ट्र की सरकार ने पहले से तय कर लिया था कि हर साल अगस्त क्रांति दिवस मनाने के लिए निकलने वाले मार्च को इस बार नहीं होने देना है।
एक दिन पहले ही यानी 8 अगस्त को मुंबई पुलिस के आला अधिकारियों ने 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी डा जी जी परीख के घर जाकर उन्हें बताया कि मार्च निकालने की इजाजत नहीं है। यहाँ तक कि यूसुफ मेहरअली विद्यालय के प्राचार्य और कई छात्रों के अभिभावकों को भी नोटिस थमाया गया।
दूसरे दिन मार्च न होने पाए, इसके लिए पुलिस ने डॉ जी जी परीख, महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, दत्ता गांधी और तीस्ता सीतलवाड़ को नजरबंद कर दिया। इन्हीं के नेतृत्व में मार्च निकलना था। 81 सालों से मुंबई में अगस्त क्रांति दिवस पर यह मार्च होता आ रहा है, कभी इसे सरकारी निषेध का सामना नहीं करना पड़ा। यह एक बानगी है कि मोदी राज में हमारे लोकतंत्र की क्या हालत हो गयी है।
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