पीएम विश्वकर्मा योजना कामगारों के साथ छलावा

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18 अगस्त। केंद्र सरकार द्वारा भारतीय परंपरागत कारीगरों के परिवारों की मदद के नाम पर शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा योजना कामगारों के साथ छलावा है। इसके पहले भी केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई इसी तरह की कौशल विकास योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है और इसके नाम पर करोड़ों रुपए की लूट हुई है। पीएम विश्वकर्मा योजना में भी दरअसल कारीगरों को एक लाख रुपए 5% ब्याज दर पर दिया जाएगा। यह कोई नई योजना नहीं है इसके पहले भी खादी ग्रामोद्योग जैसे विभागों के जरिए ऐसी योजनाएं चलती रही हैं।

दरअसल इस समय संकट सबसे ज्यादा रोजगार का है। जो परंपरागत उद्योग हैं वे नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन के कारण बेहद बुरी हालत में हैं। बुनकरी से लेकर कार्पेंट्री और अन्य लघु कुटीर उद्योगों में काम करने वाले लोगों का जीवन संकट में है। ऐसे में एक लाख का कर्ज ऊंट के मुंह में जीरा है। यदि सरकार लघु और कुटीर उद्योग में काम करने वाले कारीगरों के प्रति ईमानदार है तो उसे ब्याज मुक्त ऋण, कर्ज की धनराशि कम से कम 10 लाख रुपए, उत्पादन की बिक्री के लिए बाजार की व्यवस्था और सहकारीकरण के लिए मदद की घोषणा करनी चाहिए। साथ ही ई-श्रम पोर्टल पर भी घरेलू उद्योग में काम करने वाले कारीगर और कामगार शामिल है, सरकार को उन्हें लाभार्थी घोषित कर उनके लिए आयुष्मान कार्ड, पेंशन, आवास, बीमा की योजनाएं लागू करनी चाहिए।

वास्तव में अपनी गिरती साख से परेशान मोदी सरकार ने अति पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए इस योजना की घोषणा की है और इसके जरिए सरकार आरएसएस भाजपा के कैडरों को धन मुहैया कराने का प्रोग्राम चलाएगी। इसमें 30 लाख की जो संख्या निर्धारित की गई है वह भी देश में बेरोजगारों की संख्या के लिहाज से बेहद कम है और धन का आवंटन भी बहुत कम किया गया है। इस योजना की सच्चाई से आम आदमी को अवगत कराने के लिए वर्कर्स फ्रंट अभियान चलाएगा।

– दिनकर कपूर
प्रदेश अध्यक्ष, यूपी वर्कर्स फ्रंट

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