बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई की मांग को लेकर किसानों का चंडीगढ़ कूच, एक किसान की मौत

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23 अगस्त। हरियाणा और पंजाब की 16 किसान यूनियनों ने बाढ़ से नुकसान की भरपाई को 22 अगस्त को चंडीगढ़ कूच का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन ने एक दिन पहले ही किसान नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। अंबाला और कुरुक्षेत्र समेत कई जिलों में भारतीय किसान यूनियन से जुड़े नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इससे गुस्साए किसान सड़कों पर उतर आए और चंडीगढ़ कूच करने लगे। पुलिस द्वारा जगह जगह उन्हें रोकने को लेकर किसानों का संघर्ष उग्र हो गया है। संगरूर जिले के लोंगोवाल में आंदोलन कर रहे किसानों और पुलिस में जोरदार झड़प हुई जिसमें एसएचओ समेत कई पुलिसकर्मी व किसान घायल हो गए। वहीं, एक किसान प्रीतम सिंह की मौत हो गई है।

आंदोलन में शामिल एक किसान की मौत पर जहाँ विभिन्न किसान संगठनों ने आक्रोश व्यक्त किया है, वहीं कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने इसके लिए भगवंत मान सरकार की आलोचना की है।

50 हजार करोड़ के पैकेज की मांग

किसान नेता पंजाब समेत उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 50 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहे हैं। वे फसल के नुकसान के लिए 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त घर के लिए 5 लाख रुपये और बाढ़ में मरने वाले व्यक्ति के परिवार के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर किसान 22 अगस्त को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।

किसानों की अन्य प्रमुख मांगें

आपको बता दें कि किसान मंगलवार को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने वाले थे। उसके पीछे मुख्य मांग बाढ़ से फसलों और गावों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की है। किसान नेताओं के अनुसार, केंद्र सरकार को नुकसान की तुरंत भरपाई करनी चाहिए।

वहीं, अन्य प्रमुख मांगों की बात करें तो कि एक तो जो हरियाणा पंजाब में बाढ़ आई हुई है इसके लिए केंद्र सरकार एक पैकेज का ऐलान करे। दूसरा- एमएसपी के मुद्दे को लेकर एमएसपी लागू की जाए। तीसरी- कृषि कानून के खिलाफ जब दिल्ली में किसानों का धरना चला था उस समय जिन किसानों की मौत हुई थी उनके परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी जाए जिनको अभी तक मुआवजा और नौकरी नहीं मिली है। चौथा- दिल्ली धरना प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों के ऊपर मामले दर्ज हुए थे, जो कल पुलिस थानों में बंद हुए हैं उनको छोड़ जाए और मामले रद्द किए जाएं।

(सबरंग हिंदी में नवनीश कुमार की रिपोर्ट का अंश)

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