— गोपाल राठी —
तेईस अगस्त 2023 का दिन भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है। क्योंकि इस दिन चंद्रयान मिशन-3 के अंतर्गत शाम को 6 बजकर 04 मिनिट पर विक्रम लैंडर चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंड हुआ। चंद्रयान-2 की असफलता के चार बरस बाद यह सफलता मिली है। इस सफलता के पीछे इसरो के वैज्ञानिकों की चार बरस की मेहनत है। इसरो को बधाई।
1969 में हम कक्षा पांच में पढ़ते थे। यह गांधी जन्म शताब्दी वर्ष था। इसी वर्ष 20 जुलाई को अमरीका का चंद्रयान (अपोलो 11) पहली बार चंद्रमा तक पहुंचा था। पहली बार चंद्रमा की सतह पर किसी मनुष्य ने पैर रखे थे। तब से लेकर अब तक हम इस उपलब्धि को सिर्फ अमेरिका की नहीं बल्कि मनुष्य जाति की और पृथ्वीवासियों की महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते आ रहे हैं। भारत द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सफलतापूर्वक दस्तक देने के बाद भी अपना यह नजरिया अभी भी बरकरार है। हम चंद्रमा पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि धरती के प्रतिनिधि के रूप में गए हैं। इस अभियान के अंतर्गत जो शोध और अध्ययन होगा उससे पूरी मानव जाति समृद्ध होगी। प्रकृति के रहस्यों को जानने और समझने की ऐसी कोशिश हर देश में चल रही है। अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को जानने समझने की जद्दोजहद हर युग में चलती रही है।
चंद्रयान मिशन की सफलता निश्चय ही इसरो और हमारे वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेकिन यह सफलता युद्ध जीतने या क्रिकेट मैच जीतने जैसी नहीं है। यह हमारे वैज्ञानिकों की वर्षों की मेहनत का परिणाम है। हमें भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई और उनकी सलाह पर इसरो स्थापित करने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू का शुक्रगुजार होना चाहिए जिनके कारण हम यह दिन देख पा रहे हैं। विक्रम साराभाई, इसरो की नींव रखने वाले वैज्ञानिक थे जिनके सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम है।
भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई।
यह भाषण का अवसर नहीं था
श्रद्धेय मोदी जी फुल कॉन्फिडेंस से लंबी लंबी फेंकते हैं। चंद्रयान-3 की सफलता से पूरा देश रोमांचित था, सब टीवी पर लाइव देख रहे थे। चन्द्रमा की सतह का स्पर्श होते ही यह रोमांच चरम पर पहुंच गया था। सब लोग इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को सुनना चाहते थे। जानना चाहते थे कि मिशन का उद्देश्य क्या था? यह मिशन क्या सोच कर शुरू किया गया था? अगला कार्यक्रम क्या है? चंद्रयान अभियान के लिए चन्द्रमा का दक्षिण ध्रुव का चयन क्यों किया? चन्द्रमा से मिली सूचनाओं और चित्रों का क्या इस्तेमाल होगा? आदि।
जनता के इस कौतूहल के बीच कोई वैज्ञानिक नहीं महामानव मोदी प्रकट हुए और उन्होंने दस मिनिट तक अपना भाषण झाड़ा। टीवी स्क्रीन पर सिर्फ मोदी ही मोदी दिखाई दे रहे थे और कोई नहीं। इस अवसर पर वे वैज्ञानिकों और देश को शुभकामनाएं देकर भी काम चला सकते थे इतना लंबा भाषण देने की कोई ज़रूरत नहीं थी। लेकिन मोदी तो मोदी है जिस विषय पर वे क ख ग न जाने उस पर भी वे घण्टों बोल सकते हैं। वे यह जानते हैं कि समझदार लोगों के लिए उनका भाषण भले उबाऊ हो लेकिन भक्तों के लिए उनका हर शब्द मास्टर स्ट्रोक है। मोदी जी के भाषण का यह असर हुआ कि जिस चंद्रयान लाइव को करोड़ों लोग देख रहे थे उसके दर्शकों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम होकर लाखों में पहुंच गई। भक्तों के अलावा किसी ने उनका पूरा भाषण नहीं सुना। भक्तों को कितना समझ में आया यह रहस्यमय प्रश्न है।